लखनऊ, 15 अगस्त . स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लखनऊ जनपद के बक्शी का तालाब ब्लॉक के विश्रामपुर स्थित आदर्श बाल वाटिका में Tuesday को तिरंगा फहराने के साथ शिक्षा के नए अध्याय की शुरुआत हुई. महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने तिरंगा फहरा नवनिर्मित बाल वाटिका कक्षा-कक्ष का उद्घाटन किया और ईसीसीई एजुकेटर से संवाद करते हुए बच्चों के सर्वांगीण विकास के संकल्प को दोहराया.
इस दौरान उन्होंने कहा कि बाल वाटिका की कक्षा बच्चों के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास की पहली सीढ़ी है. इसके बाद वर्मा ने अभिभावकों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि बाल वाटिका व्यवस्था से अब सरकारी विद्यालयों में भी नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी जैसी सुव्यवस्थित प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध होगी.
पूर्व में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की बहुआयामी जिम्मेदारियों के कारण प्रारंभिक शिक्षा के लक्ष्यों की पूर्ण प्राप्ति में कुछ कठिनाइयाँ आती थीं. लेकिन Chief Minister योगी आदित्यनाथ के दूरदर्शी नेतृत्व और बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह की प्रगतिशील सोच के परिणामस्वरूप अब बाल वाटिका जैसी प्रभावी और आधुनिक व्यवस्था लागू की गई है ताकि छोटे बच्चों के सर्वांगीण विकास और उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित किया जा सके. अब बच्चों की पढ़ाई में रुचि और सीखने की क्षमता भी बढ़ेगी.
उन्होंने कहा कि बाल वाटिका अब सरकारी विद्यालयों में प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता व समान अवसर सुनिश्चित करने का प्रतीक बन रही है. इन नन्हे-मुन्नों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा गाँव में ही मिलनी शुरू हो गयी है. महानिदेशक ने बालवाटिका का निरीक्षण भी किया. इस दौरान उन्होंने बाल वाटिका में उपलब्ध रंग-बिरंगे खिलौनों, चित्र पुस्तकों और शिक्षण सामग्री को देखा और बच्चों से बातचीत कर उन्हें आत्मविश्वास के साथ सीखने के लिए प्रेरित किया. स्वतंत्रता दिवस और बालवाटिका शुभारम्भ में शिरकत करने आए अभिभावक काफी खुश दिखे. स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अभिभावकों ने इसे स्वागत योग्य कदम बताया.
अधिकांश अभिभावकों का मानना था कि अब उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा स्थानीय स्तर पर ही मिलनी शुरू हो जाएगी और बच्चों में उत्कृष्टता भी आएगी. कंचन वर्मा ने ग्राम वासियों से अपील करते हुए कहा, “जब पूरा समुदाय साथ चलता है, तो शिक्षा का दीप हर घर तक पहुंचता है. बाल वाटिका हमारे बच्चों के सुनहरे भविष्य की मजबूत नींव है. आप सभी इस पहल में सहयोगी बनकर नन्हे-मुन्नों के उज्ज्वल भविष्य को संवारने की राह पर आगे बढ़ें.”
बालवाटिका, परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में नर्सरी, एलकेजी, यूकेजी जैसी सुव्यवस्थित प्रारंभिक शिक्षा व्यवस्था है, जिसे ईसीसीई के मानकों के अनुरूप तैयार किया गया है. यह इसलिए जरूरी है क्योंकि इसमें 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों का मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास बढ़ेगा. खेल-खेल में सीखने की यह आधुनिक पद्धति है. निजी स्कूलों जैसी सुविधा अब गांवों में भी मिलेगी.
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विकेटी/एएस
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