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धर्म के नाम पर हिंसा अस्वीकार्य, सौहार्दपूर्ण माहौल प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी: जिया उर रहमान बर्क

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संभल, 6 जुलाई . उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में मोहर्रम के जुलूस के दौरान दो समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न हो गया. घटना के दौरान दोनों पक्षों में जमकर धक्का-मुक्की हुई. इस घटनाक्रम पर समाजवादी पार्टी के सांसद जिया उर रहमान वर्क ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार की यह घटनाएं उत्तर प्रदेश के अंदर हो रही हैं, और मैं यही कहूंगा कि मुसलमान ऐसा कभी नहीं चाहता कि किसी इस प्रकार की कोई घटना हो, धर्म के नाम पर कोई झगड़ा हो. इससे पहले कितनी सारी ऐसी घटनाएं हुई हैं. मुरादाबाद भी उसका गवाह रहा है. पिछले कुछ समय पहले कई जगह पर मस्जिद के सामने गलत तरह से नारे लगाए गए और मुसलमानों को उकसाया गया. लेकिन उसके बावजूद मुसलमानों ने कोई प्रतिक्रिया ऐसी नहीं दी, क्योंकि माहौल खराब होता. यह पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है कि ऐसा नहीं होना चाहिए. अफसोस है कि इस प्रकार की घटनाएं हो क्यों रही हैं? इसके पीछे कौन बढ़ावा दे रहा है?

उन्होंने आगे कहा कि सीधे-सीधे भाजपा और आरएसएस आपस में फूट डालने का काम कर रही हैं. हम इस बात को जिम्मेदारी से कह सकते हैं कि मुसलमान कभी धर्म के नाम पर लड़ना नहीं चाहता, लेकिन इस तरह की जो चीजें हैं और जो आरोप-प्रत्यारोप लगते हैं, वह गलत है. हमारा मजहब कभी इस चीज का पैगाम नहीं देता कि आप अपने जुलूस निकालो तो किसी को कोई नुकसान पहुंचे, किसी की भावना आहत हो. इस प्रदेश, देश और दुनिया में कहीं कोई मुसलमान नहीं चाहता कि किसी की भावना को आहत करके हम अपनी खुशी या गम का इजहार करें.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा मार्गों पर होटलों और दुकानों पर नेम प्लेट लगाने के आदेश की भी आलोचना की. उन्होंने कहा, “यह देश धर्मनिरपेक्ष है. नेम प्लेट लगाने का क्या मतलब? यह सिर्फ समाज में खाई पैदा करने की कोशिश है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस तरह के आदेश को खारिज किया था, फिर भी सरकार ऐसा क्यों कर रही है? यह लोकतंत्र और संविधान का अपमान है. कल को अगर दूसरे मजहब के लोग भी अपने त्योहारों में ऐसी मांग करें, तो क्या होगा? इससे सिर्फ नफरत फैलेगी. हम चाहते हैं कि देश और प्रदेश की तरक्की हो, लेकिन इसके लिए सभी समुदायों को साथ लेकर चलना होगा.”

प्यू रिसर्च सेंटर की हालिया रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “कागजों पर लोकतंत्र का सर्टिफिकेट मिलना काफी नहीं है. जमीनी हकीकत यह है कि संविधान का सम्मान नहीं हो रहा. जब तक सभी धर्मों और समुदायों को बिना भेदभाव के साथ लेकर नहीं चला जाएगा, तब तक देश की सच्ची तरक्की संभव नहीं है.”

एकेएस/डीएससी

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