लखनऊ, 30 जुलाई . उत्तर प्रदेश में शिक्षा को नवाचार और व्यावहारिकता से जोड़ने की दिशा में एक नई पहल की जा रही है. ‘लर्निंग बाई डूइंग’ कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य की योगी सरकार अब शिक्षकों को भी प्रयोगधर्मी और तकनीकी दक्षता से संपन्न बनाने की ओर अग्रसर है.
समग्र शिक्षा अभियान और पीएम श्री योजना के तहत चयनित विद्यालयों के विज्ञान व गणित शिक्षकों, तकनीकी अनुदेशकों, डायट के मास्टर ट्रेनर्स के साथ-साथ कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) की शिक्षिकाओं को भी इस प्रशिक्षण में शामिल किया गया है.
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि ‘लर्निंग बाई डूइंग’ कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के शिक्षा तंत्र को एक नई दिशा देने जा रहा है. यह पहल न केवल शिक्षकों को शिक्षण में दक्ष बनाएगी, बल्कि छात्र-छात्राओं को भी प्रयोग आधारित, रुचिकर और तार्किक शिक्षण का अनुभव प्रदान करेगी. Chief Minister योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में हमारी सरकार की यह योजना ‘शिक्षकों के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता में परिवर्तन’ के लक्ष्य की ओर एक ठोस और सराहनीय कदम है.
लखनऊ स्थित उद्यमिता विकास संस्थान और दीन दयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान में आयोजित इस चरणबद्ध आवासीय प्रशिक्षण का उद्देश्य शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण पद्धतियों से लैस कर विद्यार्थियों के लिए कक्षा शिक्षण को अधिक प्रभावी, रोचक और सीखने योग्य बनाना है. यूनिसेफ और स्टार फोरम-विज्ञान आश्रम द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किए जाने वाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत 5 अगस्त से होकर विभिन्न चरणों में 18 मार्च 2026 तक चलेगी, जिसमें चार श्रेणियों के प्रतिभागी प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे.
विज्ञान और गणित विषयों को समझने की प्रक्रिया को सरल और अनुभवजन्य बनाने के लिए ‘लर्निंग बाई डूइंग’ मॉडल पर विशेष बल दिया जा रहा है. इस उद्देश्य को साकार करने के लिए प्रदेश के प्रत्येक जनपद से चयनित विज्ञान विषय के दो प्रवक्ताओं को मास्टर ट्रेनर के रूप में 4 दिवसीय टीओटी प्रशिक्षण दिया जाएगा.
इनके अलावा, 2024-25 में चयनित 2,274 विद्यालयों के विज्ञान और गणित विषय के अध्यापकों एवं तकनीकी अनुदेशकों को दो दिवसीय विशेष प्रशिक्षण प्राप्त होगा तथा 2025-26 में चयनित 3,288 नवीन विद्यालयों (केजीबीवी समेत) के विज्ञान और गणित शिक्षकों को तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा. विद्यालयों और समुदाय के बीच सेतु बनाते हुए प्रत्येक जनपद के जिला समन्वयकों (सामुदायिक सहभागिता) को भी दो एवं तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाना प्रस्तावित है.
इन तिथियों में होंगे प्रशिक्षित –
1-3 अगस्त 2025: मास्टर ट्रेनर्स का 3 दिवसीय टीओटी.
5-8 अगस्त 2025: मास्टर ट्रेनर्स का 4 दिवसीय प्रशिक्षण.
11-14 अगस्त 2025 और 18-21 अगस्त 2025: 2,274 चयनित विद्यालयों के शिक्षकों का दो दिवसीय प्रशिक्षण.
22 अगस्त-18 अक्टूबर 2025 और 3 नवंबर 2025-14 फरवरी 2026: चरणबद्ध जिलावार प्रशिक्षण.
16 फरवरी-18 मार्च 2026: 3,288 नवीन विद्यालयों के शिक्षकों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण.
प्रशिक्षण में डायट प्रवक्ताओं (मास्टर ट्रेनर्स) की कुल संख्या 76 है. इसके अतिरिक्त, चयनित 2,274 विद्यालयों से अनुमानित 2,074 विज्ञान/गणित शिक्षक और तकनीकी अनुदेशक प्रशिक्षण में भाग लेंगे.
वहीं, 3,288 नवीन विद्यालयों (केजीबीवी सहित) से लगभग 1,888 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण में सम्मिलित किया जाएगा. इस चरण में केजीबीवी की शिक्षिकाओं को भी वर्ष 2025-26 के दौरान प्रशिक्षण से जोड़ा जाएगा.
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एसके/एबीएम
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