गुवाहाटी में सोमवार की शाम सीबीआई की टीम ने राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के एक बड़े अधिकारी को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया. यह अफसर कोई मामूली व्यक्ति नहीं, बल्कि निगम के कार्यकारी निदेशक और क्षेत्रीय अधिकारी मैसनाम रितेन कुमार सिंह थे. सीबीआई ने उन्हें उसी वक्त धर दबोचा जब वे एक व्यक्ति से 10 लाख रुपये की घूस ले रहे थे.
कैसे बिछाया गया जाल
सीबीआई को पहले से ही सूचना मिल चुकी थी कि एनएचआईडीसीएल का यह अधिकारी ठेकेदारों से पैसे लेने वाले हैं. जांच एजेंसी ने बड़ी ही चालाकी से एक जाल बिछाया और 14 अक्टूबर 2025 को ऑपरेशन को अंजाम दिया. जैसे ही निजी व्यक्ति ने रिश्वत की रकम सौंपी, सीबीआई टीम ने मौके पर पहुंचकर दोनों को पकड़ लिया. पकड़े गए दूसरे व्यक्ति का नाम है विनोद कुमार जैन, जो कोलकाता की एक निजी फर्म मेसर्स मोहन लाल जैन का प्रतिनिधि बताया जा रहा है.
यह रिश्वत राष्ट्रीय राजमार्ग-37 के डेमो से मोरन बाईपास तक के 4-लेनिंग प्रोजेक्ट से जुड़ी थी. आरोप है कि कंपनी को Extension of Time और Completion Certificate दिलाने के बदले अफसर ने घूस की मांग की थी. गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने गुवाहाटी, गाजियाबाद और इंफाल में आरोपी अफसर के घर और दफ्तरों पर छापेमारी की. तलाशी में जो कुछ मिला, उसने जांचकर्ताओं को भी हैरान कर दिया.
सीबीआई ने बताया कि अफसर और उनके परिवार के नाम पर भारी मात्रा में नकदी और लग्जरी सामान मिले हैं. जिनमें-
₹2.62 करोड़ नकद
दिल्ली-एनसीआर में 9 प्रीमियम फ्लैट, 1 ऑफिस स्पेस और 3 प्लॉट
बेंगलुरु में 1 फ्लैट और 1 प्लॉट
गुवाहाटी में 4 अपार्टमेंट और 2 भूखंड
इम्फाल में 2 भूखंड और 1 कृषि भूमि
6 लग्जरी गाड़ियों के दस्तावेज
लाखों की 2 महंगी घड़ियां और चांदी की सिल्ली शामिल हैं.
अब गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपियों को गुवाहाटी स्थित विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. सीबीआई अब यह पता लगाने में जुटी है कि यह भ्रष्टाचार की रकम कहां-कहां निवेश की गई और इसमें कितने और लोग शामिल हैं.
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