लखनऊ के बाबूखेड़ा यादव गांव में 45 वर्षीय रेनू यादव की उनके ही मंझले बेटे निखिल ने बेरहमी से हत्या कर दी थी. अब इस केस में कई नए खुलासे हुए हैं. पुलिस ने बताया कि क्यों निखिल ने बेरहमी से अपनी ही मां को मार डाला था. फिलहाल आरोपी जेल में बंद है. उसके खिलाफ आगामी कार्रवाई जारी है.
जानकारी के मुताबिक, ऑनलाइन गेमिंग में हजारों रुपये हारने और लोन के दबाव में डूबे निखिल को मां की डांट बुरी लगी थी. वो डांट से इतना आक्रोशित हो गया कि उसने मां की गर्दन में पेचकस घुसेड़ दिया और फिर सिलेंडर से सिर पर ताबड़तोड़ वार किए.
घटना का खौफनाक मंजर
पुलिस के मुताबिक, दोपहर करीब ढाई बजे रेनू ने निखिल को घर में चोरी करते पकड़ लिया. निखिल पहले ही मां का मंगलसूत्र चुरा चुका था. रेनू ने उसे डांटा और मंगलसूत्र छीन लिया, साथ ही कहा- पापा को आने दो. यह सुनते ही निखिल ने गुस्से में अलमारी से पेचकस निकाला और मां की गर्दन पर ताबड़तोड़ वार किए. रेनू चीखती-गिड़गिड़ाती रहीं, लेकिन निखिल का दिल नहीं पसीजा. उसने टीवी का वॉल्यूम तेज कर दिया ताकि चीखें बाहर न जाएं. जब रेनू बेहोश हो गईं, तब निखिल ने पास रखा खाली सिलेंडर उठाया और उनके सिर पर तीन बार जोर से मारा. रेनू ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया.
हत्या के बाद पिता की बाइक लेकर भागा
वारदात को अंजाम देने के बाद निखिल ने घर में रखे गहने और मंगलसूत्र बैग में भरे और पिता रमेश की बाइक लेकर फरार हो गया. कुछ देर बाद रमेश को साले ने सूचना दी. घर पहुंचने पर रमेश ने पत्नी को खून से लथपथ देखा तो उनके होश उड़ गए. आसपास के लोग जुटे और रेनू को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
पुलिस ने फतेहपुर से दबोचा
निखिल की तलाश में जुटी पुलिस को रविवार को उसकी बाइक चारबाग में मिली. वह त्रिवेणी एक्सप्रेस ट्रेन में सवार हुआ था. सोमवार को फतेहपुर से पुलिस ने निखिल को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में निखिल ने बिना किसी पछतावे के अपराध कबूल किया.
ऑनलाइन गेमिंग की लत बनी हत्या की वजह
पुलिस जांच में सामने आया कि निखिल ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म ‘एविएटर’ का आदी था. उसने tirangagamee.games के जरिए सट्टेबाजी में 24 हजार रुपये गंवा दिए थे. नुकसान की भरपाई के लिए उसने MPOKKET से 25,000, FLASH WALLET से 2,600 और RAM Fincorp से 2,000 रुपये का लोन लिया. इन ऐप्स की ऊंची ब्याज दरों और वसूली के दबाव ने उसे और तनाव में डाल दिया. मां की बार-बार टोकाटाकी से गुस्से में उसने यह जघन्य कदम उठाया.
साइबर थाना इंस्पेक्टर का बयान
साइबर थाना इंस्पेक्टर बृजेश यादव के अनुसार, ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स इस तरह डिजाइन किए जाते हैं कि खिलाड़ी लंबे समय तक इनसे जुड़े रहें. नकली सेलिब्रिटी विज्ञापनों और इनाम के लालच में बच्चे और युवा इनके जाल में फंस जाते हैं. जीतने की चाह में वे चोरी और उधार तक करने लगते हैं. बृजेश ने माता-पिता को बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने और गेमिंग के खतरों के बारे में जागरूक करने की सलाह दी.
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