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भारत में फांसी की प्रक्रिया: जल्लाद की अंतिम बातें और नियम

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भारत में फांसी का महत्व और प्रक्रिया

भारत को एक महान राष्ट्र के रूप में जाना जाता है, जहां कानून और नियमों का पालन करना हर नागरिक का कर्तव्य है। जब कोई व्यक्ति गंभीर अपराध करता है, तो उसे सजा-ऐ-मौत, यानी फांसी दी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस प्रक्रिया के लिए भी कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं?


फांसी के समय के लिए निर्धारित नियमों में फांसी का फंदा, समय और प्रक्रिया शामिल हैं। जब किसी अपराधी को फांसी दी जाती है, तो जल्लाद उसे फांसी देने से पहले उसके कान में कुछ कहता है। यह जानकर आपको अजीब लग सकता है, लेकिन यह सच है। आइए जानते हैं कि जल्लाद मरते हुए व्यक्ति से क्या कहता है और क्यों।


जल्लाद की अंतिम बातें कान में ये बात बोलता है जल्लाद
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फांसी देने से पहले जल्लाद अपराधी से माफी मांगता है और कहता है, "मुझे माफ कर दो भाई, मैं मजबूर हूँ।" यदि अपराधी हिन्दू है, तो जल्लाद उसे "राम राम" कहता है, और यदि मुस्लिम है, तो उसे अंतिम "सलाम" देता है। इसके बाद वह कहता है, "मैं सरकार के आदेश का पालन कर रहा हूँ, इसलिए मैं कुछ नहीं कर सकता।"


भारत में जल्लादों की संख्या भारत में केवल दो जल्लाद
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आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में फांसी की सजा के लिए केवल दो जल्लाद हैं। इन्हें सरकार द्वारा वेतन दिया जाता है। किसी को फांसी देने के लिए सरकार 3000 रुपये देती है, जबकि आतंकवादियों को फांसी देने पर यह राशि बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, इंदिरा गांधी के हत्यारों को फांसी देने वाले जल्लाद को 25000 रुपये दिए गए थे।


फंदा बनाने की प्रक्रिया कहाँ बनता है ये फंदा?

भारत में फांसी की सजा पाने वाले सभी अपराधियों के लिए फंदा बिहार की बक्सर जेल में तैयार किया जाता है। यहाँ के लोग फंदा बनाने में विशेषज्ञ माने जाते हैं। फंदे की मोटाई डेढ़ इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए, और इसकी कीमत भी काफी कम होती है। दस साल पहले, फांसी का फंदा 182 रुपये में उपलब्ध कराया गया था।


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