डॉक्टर की गिरफ्तारी का IMA ने किया विरोध
मिलावटी कफ सिरप के सेवन से कई बच्चों की जान जाने के बाद, देश के विभिन्न राज्यों में सतर्कता बढ़ गई है। मध्य प्रदेश में स्थिति सबसे गंभीर है, जहां कफ सिरप से संबंधित मौतों के मामले में एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया है। इस गिरफ्तारी पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कड़ी आपत्ति जताई है। IMA का कहना है कि कफ सिरप की स्वीकृति और उसकी गुणवत्ता की निगरानी पूरी तरह से औषधि नियामक प्रणाली की जिम्मेदारी है।
IMA ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और मध्य प्रदेश खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने कफ सिरप में डीईजी (Diethylene Glycol) की मात्रा की निगरानी में असफलता दिखाई है। संगठन ने कहा कि अधिकारियों की प्रतिक्रिया ने जनता में विश्वास जगाने के बजाय समस्याएं उत्पन्न की हैं।
डॉक्टरों के अधिकारों की रक्षा की मांगमेडिकल संगठन ने कहा, “एक डॉक्टर को गिरफ्तार करना, जिसे सक्षम अधिकारियों द्वारा अनुमोदित दवा लिखने का अधिकार है, गलत संदेश देता है। इस गिरफ्तारी के बाद देशभर के डॉक्टरों में चिंता का माहौल है।”
IMA ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में कफ सिरप की त्रासदी और उसके बाद डॉक्टर की गिरफ्तारी, अधिकारियों और पुलिस की कानूनी अज्ञानता का एक उदाहरण है। यह बयान तब आया जब मध्य प्रदेश पुलिस ने बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीण सोनी को कथित लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार किया।
मध्य प्रदेश में कार्रवाईइससे पहले, कोल्ड्रिफ कफ सिरप से 14 बच्चों की मौत के बाद, कई राज्यों ने इसकी बिक्री और आपूर्ति पर रोक लगा दी। इसके साथ ही, सरकार ने तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया और औषधि नियंत्रक का स्थानांतरण किया।
IMA ने असली दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग की है और प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा देने की आवश्यकता पर जोर दिया है। संगठन ने कहा, “इन बच्चों की मौत की पूरी जिम्मेदारी दवा निर्माताओं और अधिकारियों पर है। डॉक्टरी पेशे को धमकाना अनुचित है।”
कई स्थानों पर कार्रवाई के बाद, IMA ने बताया कि परासिया पुलिस स्टेशन में एक बाल रोग विशेषज्ञ और एक फार्मास्युटिकल कंपनी के निदेशक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उन पर गैर इरादतन हत्या और दवाओं में मिलावट के आरोप लगाए गए हैं।
गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए IMAIMA ने गिरफ्तारी की आलोचना करते हुए कहा, “डॉक्टर की जल्दबाजी में गिरफ्तारी, नियामक निकायों और संबंधित दवा कंपनी की गलतियों से ध्यान हटाने का प्रयास है।” संगठन ने बताया कि कई देशों में बच्चों में दूषित कफ सिरप पीने के बाद ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।
IMA ने कहा कि जब तक मरीजों में कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं दिखाई देता, तब तक डॉक्टरों के लिए यह जानना संभव नहीं होता कि कोई दवा दूषित है या नहीं। संगठन ने देश में दवा नियामक प्रणाली की नाकामी और इस घटना के प्रभावी समाधान पर चिंता व्यक्त की है.
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