हर साल 30 जून को विश्व एस्टेरॉयड दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को एस्टेरॉयड और उनसे जुड़ी संभावित खतरनाक स्थितियों के बारे में जागरूक करना है। यह दिन अंतरिक्ष विज्ञान, एस्टेरॉयड टकराव के जोखिम और अंतरिक्ष निगरानी की आवश्यकता के बारे में सामान्य जनता को शिक्षित करने के लिए समर्पित है।
इतिहास और उद्देश्य
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2016 में आधिकारिक रूप से विश्व एस्टेरॉयड दिवस को मान्यता दी। 30 जून की तारीख का चयन इसलिए किया गया क्योंकि 1908 में इसी दिन रूस के तुंगुस्का क्षेत्र में एक बड़ा एस्टेरॉयड विस्फोट हुआ था, जिसने लगभग 2,000 वर्ग किलोमीटर जंगल को नष्ट कर दिया था।
इस दिन की शुरुआत प्रसिद्ध वैज्ञानिक और क्वीन बैंड के गिटारिस्ट डॉ. ब्रायन मे, फिल्म निर्देशक ग्रेग रिच्टर, और कई अंतरिक्ष यात्रियों और शोधकर्ताओं की पहल पर हुई।
इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को एस्टेरॉयड के वैज्ञानिक और खगोल विज्ञान के महत्व के बारे में जानकारी देना है, साथ ही यह समझाना है कि पृथ्वी के निकट आने वाले खगोलीय पिंडों (NEOs) की पहचान और निगरानी क्यों आवश्यक है। यह नासा, ईएसए जैसी अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे ग्रह संरक्षण अभियानों को भी उजागर करता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
एस्टेरॉयड का अध्ययन वैज्ञानिकों को प्रारंभिक सौर प्रणाली के बारे में जानकारी प्रदान करता है, क्योंकि इनमें कई प्राचीन तत्व होते हैं जो अरबों वर्ष पुराने हैं। इसके अलावा, खतरनाक एस्टेरॉयड की समय पर पहचान करके उनके टकराव को रोकने के उपाय किए जा सकते हैं, जिससे पृथ्वी को बचाया जा सकता है।
इस दिन, विभिन्न अंतरिक्ष एजेंसियां, शैक्षणिक संस्थान और विज्ञान केंद्र दुनिया भर में ऑनलाइन सेमिनार, व्याख्यान, शैक्षिक कार्यशालाएं आदि आयोजित करते हैं। विशेषज्ञ नासा के डार्ट मिशन और ईएसए के हेरा मिशन जैसे अभियानों को उजागर करते हैं, जो एस्टेरॉयड को मोड़ने की तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
विश्व एस्टेरॉयड दिवस 2025 इस बात की याद दिलाता है कि हमारी पृथ्वी अंतरिक्ष से खतरों के प्रति कितनी संवेदनशील हो सकती है, और इसे सुरक्षित रखने के लिए निरंतर वैज्ञानिक प्रयासों, अवलोकनों और वैश्विक सहयोग की कितनी आवश्यकता है।
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