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संजय लीला भंसाली की फिल्म 'खामोशी: द म्यूजिकल' का 27वां वर्षगांठ

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फिल्म का संक्षिप्त परिचय

संजय लीला भंसाली की पहली फिल्म 'खामोशी: द म्यूजिकल' एक कलात्मकता की जीत थी, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर यह असफल रही। इस क्लासिक फिल्म को देखकर यह स्पष्ट होता है कि इसकी कहानी लगभग अंत तक बेदाग थी, जब अचानक इसका दुखद अंत एक सुखद में बदल दिया गया।


भंसाली की ईमानदारी

कुछ लोग मानते हैं कि भंसाली की यह पहली फिल्म, जिसमें खूबसूरत और संवेदनशील अन्नी (मनीषा कोइराला) अपने बधिर और गूंगे माता-पिता (नाना पाटेकर, सीमा बिस्वास) की मांगों से जूझती है, उनके सबसे ईमानदार कामों में से एक है।


बॉक्स ऑफिस पर असफलता

सच्चाई यह है कि 'खामोशी' को उस समय धोखे का शिकार होना पड़ा जब अन्नी की मृत्यु का मूल दुखद अंत वितरकों के दबाव पर बदलना पड़ा। फिल्म के रिलीज के दिन ही इसे अस्वीकृत कर दिया गया। मनीषा ने अपनी सुंदरता और बारीकियों से भरी अदाकारी से खुद को अमर बना लिया। सलमान ने अपने दोस्त को समर्थन देने के लिए सहायक भूमिका निभाई।


भंसाली का अनुभव

9 अगस्त 1996 को सुबह 10 बजे, निर्माता सिब्ते हसन रिजवी ने भंसाली को सूचित किया कि उनकी फिल्म 'खामोशी: द म्यूजिकल' फ्लॉप हो गई है। भंसाली को इस बात का कोई अंदाजा नहीं था। उनकी बहन, फिल्म संपादक बेला सहगल, और अन्य सहयोगियों के साथ वे लिबर्टी सिनेमा पहुंचे।


दुखद दृश्य

जो उन्होंने देखा, वह उनके दिल को तोड़ने वाला था। लिबर्टी सिनेमा में दर्शक असंतुष्ट थे और कुछ ने अपनी सीटें तोड़ने की कोशिश की। प्रोजेक्शनिस्ट ने भी भंसाली की चिंता में शामिल होकर एक रील उल्टी दिखा दी। भंसाली ने प्रोजेक्शन रूम में जाकर इसे ठीक किया। उनका सपना एक दुःस्वप्न में बदल गया।


फिल्म का प्रभाव

भंसाली ने कहा, "मैं टूट गया था। मैंने सोचा कि मेरी फिल्म निर्माता के रूप में यात्रा खत्म हो गई है।" 'खामोशी: द म्यूजिकल' ने 9 अगस्त को अपने 27वें वर्ष में प्रवेश किया और यह गुरु दत्त की 'कागज़ के फूल' और राज कपूर की 'मेरा नाम जोकर' के साथ भारतीय सिनेमा के सबसे सम्मानित फ्लॉप्स में शामिल हो गई।


कहानी का सार

यह कहानी एक खूबसूरत कैथोलिक लड़की अन्नी की है, जिसे अपने बधिर और गूंगे माता-पिता की देखभाल और एक गायक के रूप में अपने करियर के बीच चयन करना है। 'खामोशी: द म्यूजिकल' एक दिल तोड़ने वाली कहानी है, जो एक झूठे अंत से प्रभावित हुई, जहां मनीषा की अन्नी जीवित रहती है।


भंसाली की खेद

भंसाली ने कहा, "आज भी मुझे अंत बदलने का पछतावा है। मैं नया था और डरता था कि अगर मैंने दबाव का पालन नहीं किया तो मुझे निकाल दिया जाएगा। इसलिए, मैं 'खामोशी' को सही अंत के साथ फिर से बनाना चाहूंगा।"


संस्कृति में स्थान

'खामोशी: द म्यूजिकल' ने वर्षों में एक कल्ट फॉलोइंग प्राप्त की है, जैसे 'कागज़ के फूल' और 'मेरा नाम जोकर'।


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