अमित शाह ने तमिलनाडु के नेताओं से की मुलाकात
AIADMK के नेता ई पलानीस्वामी ने हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की। अब, तमिलनाडु बीजेपी के प्रमुख नेता भी जल्द ही अमित शाह और जेपी नड्डा से मिलने वाले हैं। दरअसल, अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी को कुछ सहयोगी दलों के साथ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी का लक्ष्य है कि सत्ताधारी DMK के खिलाफ वोटों का बंटवारा न हो। इसके लिए बीजेपी छोटे दलों को एनडीए में शामिल करने की योजना बना रही है। इस प्रकार, बीजेपी चुनावी मैदान में पूरी तैयारी के साथ उतरेगी।
एनडीए के वोटों का बंटवारा रोकने की कोशिश
इस हफ्ते एआईएडीएमके नेता ई पलानीस्वामी की दिल्ली यात्रा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह के साथ इसी रणनीति पर चर्चा हुई। बीजेपी चाहती है कि AIADMK से अलग हुए गुट की पार्टी एनडीए में वापस आ जाए, ताकि वोटों का बंटवारा न हो। ईपीएस ने अमित शाह से कहा कि बीजेपी को एआईएडीएमके से निष्कासित नेताओं को शामिल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे गठबंधन की एकता प्रभावित हो सकती है। अगले महीने से दोनों दल राज्य में संयुक्त अभियान चलाएंगे और डीएमके सरकार के खिलाफ मुद्दों को जनता के सामने लाएंगे।
निष्कासित नेताओं की वापसी का मुद्दा
एआईएडीएमके से निष्कासित नेताओं की वापसी एक ऐसा मुद्दा है जो अभी तक सुलझा नहीं है। पूर्व सीएम ओ. पनीरसेलवम को लेकर माना जा रहा है कि बीजेपी उन्हें अपने साथ लेना चाहती है। सूत्रों के अनुसार, वे दिसंबर के अंत या अगले साल जनवरी में बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, जो एआईएडीएमके को पसंद नहीं आएगा। वहीं, ईपीएस टीवीके प्रमुख विजय को एनडीए में लाने के इच्छुक हैं, क्योंकि उनका मानना है कि पिल्लै जाति के विजय अगड़ी जातियों को गठबंधन में जोड़ सकते हैं। लेकिन बीजेपी फिलहाल इसके लिए तैयार नहीं है।
शशिकला का झुकाव बीजेपी की ओर
टीटीवी दिनाकरन और पीएमके के बीच भी मतभेद बने हुए हैं। पीएमके पिछली बार एनडीए का हिस्सा थी। वहीं, दिनाकरन एनडीए को मजबूती दे सकते हैं। शशिकला, जो जयललिता की करीबी थीं, संभवतः एनडीए के पक्ष में प्रचार करेंगी।
एनडीए की ताकत में वृद्धि की संभावना
बीजेपी का मानना है कि छोटे दलों और एआईएडीएमके से निष्कासित नेताओं को शामिल करने से न केवल विरोधी वोटों का बिखराव रोका जा सकेगा, बल्कि एनडीए की ताकत भी बढ़ाई जा सकेगी। हालांकि, एनडीए के विस्तार से पहले एआईएडीएमके को तैयार करना एक चुनौती है, क्योंकि इसे पार्टी के आंतरिक मामलों में दखल के रूप में देखा जा सकता है।
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