जुड़वां बच्चों का होना कोई असामान्य बात नहीं है, लेकिन जब बच्चे एक जैसे दिखते हैं, तो यह और भी खास बन जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के एक गांव में अधिकांश बच्चे जुड़वां पैदा होते हैं? यह सुनकर आप चौंक जाएंगे।
यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं है, बल्कि यह सच्चाई है। केरल राज्य में एक ऐसा गांव है, जहां दशकों से यह अनोखा ट्रेंड जारी है। यह गांव वैज्ञानिकों के लिए भी एक पहेली बन चुका है। आइए जानते हैं इस गांव के बारे में और यह भी कि वैज्ञानिकों ने इस पर क्या शोध किया है।
कोडिनी: जुड़वां बच्चों का गढ़
यह अनोखा गांव केरल के मणप्पपुरम जिले में स्थित है, जिसका नाम कोडिनी है। यह गांव भले ही साधारण दिखता हो, लेकिन इसकी विशेषता इसे अन्य गांवों से अलग बनाती है।
यहां के अधिकांश परिवारों में जुड़वां और हमशक्ल बच्चे होते हैं। यह तथ्य 100% सच है, और यही कारण है कि इस गांव को 'ट्विन विलेज' के नाम से जाना जाता है।
परिवारों की संख्या और जुड़वां बच्चों की जोड़ी
कोडिनी गांव में लगभग 2000 परिवार निवास करते हैं, और यहां 400 जोड़ी जुड़वां बच्चे हैं। यह सिलसिला कई दशकों से जारी है।
यहां तक कि जो लोग इस गांव में आकर बसते हैं, उनके भी जुड़वां बच्चे होते हैं।
46 वर्षीय शमसाद बेगम, जो 2000 में इस गांव में आई थीं, ने बताया कि उनकी पीढ़ियों में कभी भी किसी महिला को जुड़वां बच्चे नहीं हुए।
वैज्ञानिकों का शोध
इस गांव में जुड़वां बच्चों की संख्या पर शोध केवल केरल में ही नहीं, बल्कि लंदन तक किया जा रहा है। वैज्ञानिकों ने यहां बालों और लार के नमूने लिए हैं।
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस गांव में ऐसा क्या है कि यहां के लोग अधिकतर जुड़वां बच्चे पैदा करते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके पीछे आनुवांशिक कारण हो सकते हैं। केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशियन स्टडीज के प्रोफेसर ई प्रीतम ने बताया कि आनुवांशिकता इस अनोखे मामले का मुख्य कारण हो सकती है।
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