बिहार के छपरा जिले से घरेलू हिंसा और दहेज से संबंधित कानूनों के दुरुपयोग का एक और मामला सामने आया है। रसुलपुर गांव में 2019 में एक चौंकाने वाली घटना हुई थी, जिसमें सोनू कुमार की पत्नी की दहेज के लिए हत्या का आरोप लगाया गया था। लड़की के पिता, तेरस साह ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें सोनू और उसके 12 रिश्तेदारों का नाम लिया गया था। इस घटना ने गांव में शोक का माहौल बना दिया था।
यह मामला पिछले छह वर्षों से अदालत और पुलिस की फाइलों में लटका हुआ था। आरोपी परिवार इस डर में जी रहा था कि उन्हें कभी भी इस झूठे आरोप के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है। लेकिन हाल ही में पुलिस ने जांच के दौरान लड़की को पटना जिले के पुनपुन ओपी क्षेत्र से जिंदा बरामद किया।
अब वह तीन बच्चों की मां है और एक अन्य व्यक्ति के साथ विवाह कर सामान्य जीवन जी रही है। थानाध्यक्ष दिलीप कुमार और एसआई रबीन्द्र पाल ने उसे डोरीगंज लाकर अदालत में पेश किया। लड़की ने बयान दिया कि उसने अपनी इच्छा से पहले का घर छोड़ा था।
इस खुलासे ने गांव में हलचल मचा दी। निर्दोष साबित होकर जेल जाने से बचा सोनू का परिवार अब राहत महसूस कर रहा है। लेकिन इस घटना ने एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा किया है - क्या घरेलू हिंसा और दहेज से जुड़े कानूनों के दुरुपयोग को रोका जा सकता है?
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