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कालाष्टमी व्रत: पूजा का समय और महत्व

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कालाष्टमी व्रत का महत्व

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में अनेक व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं, जिनका विशेष महत्व होता है। इनमें से कालाष्टमी व्रत को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, जो हर महीने की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप, कालभैरव की पूजा की जाती है और उपवास रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत के माध्यम से भक्तों को कालभैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे धन और समृद्धि में वृद्धि होती है। इस लेख में हम कालाष्टमी की तिथि और पूजा का शुभ समय साझा कर रहे हैं।

कालाष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त—
हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष मास की अष्टमी तिथि 22 दिसंबर को शाम 6:07 बजे प्रारंभ होगी और 23 दिसंबर को रात 7:56 बजे समाप्त होगी।

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इस दिन कालभैरव की पूजा का शुभ समय 22 दिसंबर को सुबह 6:50 बजे से 10:48 बजे तक रहेगा। निशिता काल का मुहूर्त 22 दिसंबर की रात 11:41 बजे से 23 दिसंबर की रात 12:34 बजे तक होगा।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद भक्तों को भगवान कालभैरव के मंदिर जाकर उनकी विधिवत पूजा करनी चाहिए और उपवास भी रखना चाहिए। ऐसा करने से बाबा भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

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