भारत की टैक्स प्रणाली में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन होने जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के 12% स्लैब को समाप्त करने की योजना बना रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार, यह जीएसटी लागू होने के बाद का पहला बड़ा कदम होगा।
जीएसटी काउंसिल की बैठक
जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है, जो संसद के मानसून सत्र के बाद अगस्त में आयोजित होने की संभावना है। इस बदलाव के प्रभाव और इसके परिणामों पर चर्चा की जाएगी।
जीएसटी में बदलाव का उद्देश्य
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी काउंसिल की बैठक में 12% टैक्स स्लैब को हटाने का प्रस्ताव रखा जाएगा। वर्तमान में जीएसटी में पांच मुख्य स्लैब हैं: 0%, 5%, 12%, 18% और 28%। इसके अतिरिक्त, सोने और चांदी जैसे बुलियन के लिए 0.25% और 3% के विशेष स्लैब भी हैं। प्रस्ताव है कि 12% स्लैब को समाप्त कर दिया जाए और संबंधित वस्तुओं को 5% या 18% के स्लैब में स्थानांतरित किया जाए।
बदलाव की आवश्यकता
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य टैक्स स्लैब को कम करना और जीएसटी की प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। इससे व्यापारियों को राहत मिलेगी और उपभोक्ताओं के लिए वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं। वर्तमान में 5% स्लैब में 21% वस्तुएं, 12% में 19% और 18% में 44% वस्तुएं आती हैं। 12% स्लैब के समाप्त होने से अधिकांश वस्तुएं या तो 5% या 18% में चली जाएंगी, जिससे टैक्स ढांचा अधिक स्पष्ट होगा।
अर्थव्यवस्था को मिलेगा लाभ
सरकारी अधिकारियों का मानना है कि जीएसटी को सरल बनाने से अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी। एक अधिकारी ने कहा, "टैक्स ढांचा अब स्थिर हो चुका है और अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है। यह बदलाव करने का सही समय है।" सरकार कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों पर काम कर रही है, और जीएसटी को सरल बनाकर स्थानीय उद्योगों को लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही है।
नई दरों का कार्यान्वयन
यदि जीएसटी काउंसिल इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है, तो नई दरें जल्द ही लागू हो सकती हैं। हालांकि, इसके लिए सभी राज्यों की सहमति आवश्यक है। वित्त मंत्रालय इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है, और इनकम टैक्स कानून में भी बदलाव की योजना है, जिसका बिल मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है।
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