अनिल अंबानी के 50 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) छापेमारी कर रही है. यह जांच मनी लॉन्ड्रिंग अपराधों से जुड़ी है. जिस पर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर की तरफ से प्रतिक्रिया सामने आई. रागा कंपनियों यानी अनिल अंबानी समूह की कंपनियों से जुड़े परिसर पर प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा बड़े पैमाने पर तलाशी की जा रही है. यह छापामार कार्रवाई सीबीआई, बैंक ऑफ़ बड़ोदा,सेबी, नेशनल हाउसिंग बैंक, नेशनल फाइनेंशियल रिर्पोटिंग अथॉरिटी की एफआईआर के आधार पर की जा रही है. इसके अलावा अनिल अंबानी की कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों के घरों पर भी तलाशी जारी है.
ईडी रेड पर रिलायंस की प्रतिक्रियाकारोबारी अनिल अंबानी के ठिकानों पर हो रही ईडी की कार्रवाई पर रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर की तरफ से यह कहा गया कि इसका असर उनकी कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन, व्यावसायिक संचालन, कर्मचारी, शेयरधारको या अन्य किसी भी प्रकार से हित धारकों पर नहीं पड़ेगा. यानि निवेशकों को इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है.
इसके साथ ही यह भी कहा गया कि आरकॉम या रिलायंस होम फाइनेंशियल लिमिटेड के पिछले 10 साल से भी पुराने लेनदेन के संबंध में यह कार्रवाई की जा रही है. इस कार्रवाई या आरकॉम या आरएचएफएल का रिलायंस पावर से कोई भी वित्तीय या व्यावसायिक संबंध नहीं है. रिलायंस पावर एक अलग स्वतंत्र लिस्टेड यूनिट है. इसके अलावा कंपनी की तरफ से यह भी बताया कि पिछले 6 सालों से आरकॉम दिवालिया समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है.
रिलायंस पावर के बोर्ड में नहीं हैं अनिल अंबानीरिलायंस पावर की तरफ से जारी की गई प्रतिक्रिया में यह भी बताया गया कि रिलायंस पावर के बोर्ड में अनिल अंबानी नहीं है. इसीलिए इस कार्रवाई का रिलायंस पावर के प्रबंधन या संचालन पर कोई असर नहीं होगा.
बता दे कि अनिल अंबानी के 50 से ठिकानों पर ईडी की यह कार्रवाई की जा रही है. इतना ही नहीं ईडी का यह भी कहना है कि उन्हें इस बात के सबूत मिले हैं कि लॉन्ड्रिंग के उद्देश्य से यह रची गई एक सुनियोजित योजना है. जिसमें समूह ने साल 2017 और साल 2019 के बीच येस बैंक से 3000 करोड रुपए के बैंक लोन का कई फर्जी कंपनियों के माध्यम से गबन किया.
रिलायंस समूह की कंपनियों पर लोन वितरित होने से पहले यस बैंक के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप भी लगाया गया है. जो बैंक द्वारा लोन देने की प्रक्रिया का उल्लंघन है. अनिल अंबानी के समूह की कई कंपनियां दिवालिया हो चुकी हैं. साल 2020 में यस बैंक को भी दिवालिया घोषित कर दिया गया था, जिससे अनिल अंबानी समूह की कंपनियों ने भारी कर्ज लिया था.
ईडी रेड पर रिलायंस की प्रतिक्रियाकारोबारी अनिल अंबानी के ठिकानों पर हो रही ईडी की कार्रवाई पर रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर की तरफ से यह कहा गया कि इसका असर उनकी कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन, व्यावसायिक संचालन, कर्मचारी, शेयरधारको या अन्य किसी भी प्रकार से हित धारकों पर नहीं पड़ेगा. यानि निवेशकों को इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है.
इसके साथ ही यह भी कहा गया कि आरकॉम या रिलायंस होम फाइनेंशियल लिमिटेड के पिछले 10 साल से भी पुराने लेनदेन के संबंध में यह कार्रवाई की जा रही है. इस कार्रवाई या आरकॉम या आरएचएफएल का रिलायंस पावर से कोई भी वित्तीय या व्यावसायिक संबंध नहीं है. रिलायंस पावर एक अलग स्वतंत्र लिस्टेड यूनिट है. इसके अलावा कंपनी की तरफ से यह भी बताया कि पिछले 6 सालों से आरकॉम दिवालिया समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है.
रिलायंस पावर के बोर्ड में नहीं हैं अनिल अंबानीरिलायंस पावर की तरफ से जारी की गई प्रतिक्रिया में यह भी बताया गया कि रिलायंस पावर के बोर्ड में अनिल अंबानी नहीं है. इसीलिए इस कार्रवाई का रिलायंस पावर के प्रबंधन या संचालन पर कोई असर नहीं होगा.
बता दे कि अनिल अंबानी के 50 से ठिकानों पर ईडी की यह कार्रवाई की जा रही है. इतना ही नहीं ईडी का यह भी कहना है कि उन्हें इस बात के सबूत मिले हैं कि लॉन्ड्रिंग के उद्देश्य से यह रची गई एक सुनियोजित योजना है. जिसमें समूह ने साल 2017 और साल 2019 के बीच येस बैंक से 3000 करोड रुपए के बैंक लोन का कई फर्जी कंपनियों के माध्यम से गबन किया.
रिलायंस समूह की कंपनियों पर लोन वितरित होने से पहले यस बैंक के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप भी लगाया गया है. जो बैंक द्वारा लोन देने की प्रक्रिया का उल्लंघन है. अनिल अंबानी के समूह की कई कंपनियां दिवालिया हो चुकी हैं. साल 2020 में यस बैंक को भी दिवालिया घोषित कर दिया गया था, जिससे अनिल अंबानी समूह की कंपनियों ने भारी कर्ज लिया था.
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