मान लीजिए किसी शख्स ने शादी से पहले एक वसीयत बनाई, जिसमें उसने अपनी सारी संपत्ति अपने माता-पिता को देने की बात लिखी। लेकिन बाद में उसने दूसरी धर्म की लड़की से शादी कर ली। अब उसकी मौत के बाद सवाल उठा तो क्या पहले से बनाई गई वसीयत अब भी लागू होगी?
वसीयत कैसे रद्द होती है?
वसीयत अपने आप रद्द नहीं होती, जब तक कि इसे तीन तरीकों से न बदला गया हो:
नई वसीयत बनाकर
लिखित तौर पर रद्द करके
पुरानी वसीयत को नष्ट करके जैसे जलाना, फाड़ना आदि
अगर इनमें से कुछ नहीं हुआ है, तो वसीयत लीगल मानी जाएगी।
हिंदू व्यक्ति की वसीयत पर शादी का असर
अगर कोई व्यक्ति हिंदू, सिख, जैन या बौद्ध है और उसने अपने ही धर्म में शादी की है यानि कि शादी भी हिंदू रीति-रिवाजों से हुई है, तो उस व्यक्ति ने शादी से पहले जो वसीयत बनाई थी, वो शादी के बाद भी वैसे ही मान्य रहती है। शादी होने से वो वसीयत अपने आप खत्म नहीं होती।
Special Marriage Act और अंतर-धार्मिक शादी का असर
अगर वसीयत बनाने वाला व्यक्ति हिंदू (या सिख, जैन, बौद्ध) है और उसकी शादी उसी धर्म में होती है, तो शादी के बाद भी उसकी पहले बनाई गई वसीयत पर कोई असर नहीं पड़ता। यानी शादी के कारण वसीयत अपने आप रद्द नहीं होती। ऐसा इसलिए है क्योंकि Indian Succession Act, 1925 की धारा 69, जो कहती है कि शादी के बाद वसीयत रद्द हो जाएगी वो हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध पर लागू नहीं होती। लेकिन अगर वही व्यक्ति किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करता है और वो शादी Special Marriage Act, 1954 के तहत होती है (जैसे एक हिंदू लड़के की शादी मुस्लिम या ईसाई लड़की से), तो मामला बदल जाता है। ऐसे में, Bombay High Court के एक फैसले के अनुसार, Indian Succession Act की धारा 69 लागू हो सकती है, और इस वजह से पहले से बनी वसीयत अपने आप रद्द मानी जा सकती है। यानी शादी के बाद वह वसीयत अब कानूनी रूप से मान्य नहीं रह सकती है जब तक व्यक्ति ने नई वसीयत न बनाई हो।
क्या है Special Marriage Act
Special Marriage Act, 1954 एक ऐसा कानून है जो भारत में अलग-अलग धर्मों के लोगों को शादी करने की अनुमति देता है, बिना धार्मिक रीति-रिवाजों के। इस कानून के तहत शादी सरकारी रजिस्ट्रेशन के जरिए होती है, जिससे दूल्हा-दुल्हन अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं, चाहे उनका धर्म अलग हो। यह Act खासकर उन जोड़ों के लिए है जो अपनी पारंपरिक धार्मिक शादी न करके, एक सिविल या सरकारी तरीके से शादी करना चाहते हैं। Special Marriage Act शादी के बाद पति-पत्नी को कानूनी अधिकार और सुरक्षा भी देता है।
अगर वसीयत रद्द हो जाए तो संपत्ति किसे मिलेगी?
अगर शादी के बाद पुरानी वसीयत कानून के अनुसार रद्द मानी जाती है और व्यक्ति ने कोई नई वसीयत नहीं बनाई है, तो उसकी मौत के बाद उसकी संपत्ति बिना वसीयत वाले नियमों (intestate succession) के आधार पर बंटी जाएगी। Indian Succession Act के मुताबिक, ऐसी स्थिति में पत्नी को कुल संपत्ति का 1/3 हिस्सा मिलेगा, और बाकी 2/3 हिस्सा उसके बच्चों में बराबर-बराबर बांटा जाएगा। लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि इस नियम में माता-पिता को कुछ नहीं मिलता, क्योंकि उन्हें उत्तराधिकारी नहीं माना जाता जब तक कि वसीयत में उनका नाम न हो। इसलिए अगर वसीयत रद्द हो जाए और नई वसीयत भी न हो, तो माता-पिता को कानूनी रूप से संपत्ति का हिस्सा नहीं मिलता।
हर राज्य में नियम एक जैसे नहीं होते
भारत के हर राज्य में संपत्ति और वसीयत से जुड़े कानून थोड़े अलग हो सकते हैं। जैसे गोवा और उत्तराखंड में अलग नियम चलते हैं। इसके अलावा, Bombay High Court का फैसला पूरे देश में जरूरी नहीं कि लागू हो। दूसरे राज्यों की अदालतें अलग राय रख सकती हैं। इसलिए अगर आपकी शादी या वसीयत की स्थिति थोड़ी भी उलझी हुई है, तो किसी अच्छे वकील से सलाह लेना जरूरी है।
क्या करें?अगर आपने शादी से पहले वसीयत बनाई है और अब अंतर-धार्मिक शादी करने जा रहे हैं, तो शादी के बाद उस वसीयत की कानूनी मान्यता बदल सकती है। इसलिए शादी के बाद अपनी वसीयत को ज़रूर दोबारा देखें और अगर जरूरत हो तो नई वसीयत बनवाएं। खासकर अगर आपकी शादी Special Marriage Act के तहत हुई है, तो इसके असर को अच्छे से समझना जरूरी है। साथ ही, किसी अनुभवी लीगल एक्सपर्ट या वकील से सलाह लेना भी बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि आपकी संपत्ति का बंटवारा सही तरीके से हो और बाद में कोई दिक्कत न हो।
वसीयत कैसे रद्द होती है?
वसीयत अपने आप रद्द नहीं होती, जब तक कि इसे तीन तरीकों से न बदला गया हो:
नई वसीयत बनाकर
लिखित तौर पर रद्द करके
पुरानी वसीयत को नष्ट करके जैसे जलाना, फाड़ना आदि
अगर इनमें से कुछ नहीं हुआ है, तो वसीयत लीगल मानी जाएगी।
हिंदू व्यक्ति की वसीयत पर शादी का असर
अगर कोई व्यक्ति हिंदू, सिख, जैन या बौद्ध है और उसने अपने ही धर्म में शादी की है यानि कि शादी भी हिंदू रीति-रिवाजों से हुई है, तो उस व्यक्ति ने शादी से पहले जो वसीयत बनाई थी, वो शादी के बाद भी वैसे ही मान्य रहती है। शादी होने से वो वसीयत अपने आप खत्म नहीं होती।
Special Marriage Act और अंतर-धार्मिक शादी का असर
अगर वसीयत बनाने वाला व्यक्ति हिंदू (या सिख, जैन, बौद्ध) है और उसकी शादी उसी धर्म में होती है, तो शादी के बाद भी उसकी पहले बनाई गई वसीयत पर कोई असर नहीं पड़ता। यानी शादी के कारण वसीयत अपने आप रद्द नहीं होती। ऐसा इसलिए है क्योंकि Indian Succession Act, 1925 की धारा 69, जो कहती है कि शादी के बाद वसीयत रद्द हो जाएगी वो हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध पर लागू नहीं होती। लेकिन अगर वही व्यक्ति किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करता है और वो शादी Special Marriage Act, 1954 के तहत होती है (जैसे एक हिंदू लड़के की शादी मुस्लिम या ईसाई लड़की से), तो मामला बदल जाता है। ऐसे में, Bombay High Court के एक फैसले के अनुसार, Indian Succession Act की धारा 69 लागू हो सकती है, और इस वजह से पहले से बनी वसीयत अपने आप रद्द मानी जा सकती है। यानी शादी के बाद वह वसीयत अब कानूनी रूप से मान्य नहीं रह सकती है जब तक व्यक्ति ने नई वसीयत न बनाई हो।
क्या है Special Marriage Act
Special Marriage Act, 1954 एक ऐसा कानून है जो भारत में अलग-अलग धर्मों के लोगों को शादी करने की अनुमति देता है, बिना धार्मिक रीति-रिवाजों के। इस कानून के तहत शादी सरकारी रजिस्ट्रेशन के जरिए होती है, जिससे दूल्हा-दुल्हन अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं, चाहे उनका धर्म अलग हो। यह Act खासकर उन जोड़ों के लिए है जो अपनी पारंपरिक धार्मिक शादी न करके, एक सिविल या सरकारी तरीके से शादी करना चाहते हैं। Special Marriage Act शादी के बाद पति-पत्नी को कानूनी अधिकार और सुरक्षा भी देता है।
अगर वसीयत रद्द हो जाए तो संपत्ति किसे मिलेगी?
अगर शादी के बाद पुरानी वसीयत कानून के अनुसार रद्द मानी जाती है और व्यक्ति ने कोई नई वसीयत नहीं बनाई है, तो उसकी मौत के बाद उसकी संपत्ति बिना वसीयत वाले नियमों (intestate succession) के आधार पर बंटी जाएगी। Indian Succession Act के मुताबिक, ऐसी स्थिति में पत्नी को कुल संपत्ति का 1/3 हिस्सा मिलेगा, और बाकी 2/3 हिस्सा उसके बच्चों में बराबर-बराबर बांटा जाएगा। लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि इस नियम में माता-पिता को कुछ नहीं मिलता, क्योंकि उन्हें उत्तराधिकारी नहीं माना जाता जब तक कि वसीयत में उनका नाम न हो। इसलिए अगर वसीयत रद्द हो जाए और नई वसीयत भी न हो, तो माता-पिता को कानूनी रूप से संपत्ति का हिस्सा नहीं मिलता।
हर राज्य में नियम एक जैसे नहीं होते
भारत के हर राज्य में संपत्ति और वसीयत से जुड़े कानून थोड़े अलग हो सकते हैं। जैसे गोवा और उत्तराखंड में अलग नियम चलते हैं। इसके अलावा, Bombay High Court का फैसला पूरे देश में जरूरी नहीं कि लागू हो। दूसरे राज्यों की अदालतें अलग राय रख सकती हैं। इसलिए अगर आपकी शादी या वसीयत की स्थिति थोड़ी भी उलझी हुई है, तो किसी अच्छे वकील से सलाह लेना जरूरी है।
क्या करें?अगर आपने शादी से पहले वसीयत बनाई है और अब अंतर-धार्मिक शादी करने जा रहे हैं, तो शादी के बाद उस वसीयत की कानूनी मान्यता बदल सकती है। इसलिए शादी के बाद अपनी वसीयत को ज़रूर दोबारा देखें और अगर जरूरत हो तो नई वसीयत बनवाएं। खासकर अगर आपकी शादी Special Marriage Act के तहत हुई है, तो इसके असर को अच्छे से समझना जरूरी है। साथ ही, किसी अनुभवी लीगल एक्सपर्ट या वकील से सलाह लेना भी बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि आपकी संपत्ति का बंटवारा सही तरीके से हो और बाद में कोई दिक्कत न हो।
You may also like
जेकेके में नमो प्रदर्शनी: अंतिम दिन पं. दीनदयाल उपाध्याय पर हुई चर्चा
अग्नि प्राइम बनाम अग्नि-5: दोनों में कौन ज्यादा ताकतवर, दुश्मनों के लिए कौन ज्यादा खतरनाक?
कार कंपनी और शिकायतकर्ता आपसी सहमति से करें विवाद का निस्तारण, शाहरुख-दीपिका के खिलाफ कार्रवाई पर रोक जारी
साबरकांठा में वाइब्रेंट समिट पर हुई मंथन सभा, मंत्री बलवंतसिंह राजपूत ने बताई नई इंडस्ट्रियल स्ट्रैटेजी
प्राकृतिक आपदा से पहले लोगों को एक 'वॉर्निंग सिस्टम' करेगा सचेत, जाम्बिया में हुआ लॉन्च