सायरी चहल, एक नाम जो औरतों की ताकत का प्रतीक है! शे-रोज़ के साथ उन्होंने लाखों महिलाओं के सपनों को नई उड़ान दी है. ये प्लेटफार्म आज भारत में लाखों औरतों को करियर, बिजनेस और कॉन्फिडेंस का नया रास्ता दिखा रहा है. ये कहानी है एक ऐसी औरत की, जिसने चैलेंजेस को मात दी और औरतों के लिए सशक्तिकरण की नई मिसाल कायम की. आइए, जानें सायरी चहल की सक्सेस स्टोरी, जो हर किसी को अपने सपने पूरे करने की हिम्मत देती है.
सायरी चहल शे-रोज़ की संस्थापक व सीईओ हैं. जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरपुर में हुआ. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में एम.फिल की डिग्री हासिल की. पढ़ाई के दौरान ही सायरी ने उद्यमिता की दुनिया में कदम रखा. साल 1999 में, जब वह कॉलेज में थीं, उन्होंने नाविकों के लिए एक स्थानीय समाचार पत्र शुरू किया, जो उनकी पहली एंट्रेंप्रेनेरशिप पहल थी.
शे-रोज़ की शुरुआतसाल 2014 में सायरी चहल ने शे-रोज़ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य महिलाओं को उनके करियर और व्यक्तिगत विकास में सहायता प्रदान करना था. शुरुआत में, शे-रोज़ का फोकस उन महिलाओं पर था जो मां बनने के बाद फिर से अपने काम पर लौटना चाहती थीं. धीरे-धीरे यह प्लेटफार्म और व्यापक हुआ. जो महिलाओं को न केवल नौकरी सर्च करने में मदद करता है, बल्कि एंटरप्रेन्योरशिप , मेंटरशिप, और सामाजिक प्रभाव जैसे क्षेत्रों में भी प्रेरित करता है.
कई चुनौतियों का किया सामना सायरी की जर्नी आसान नहीं थी. एक औरत उद्यमी के तौर पर उन्हें फंडिंग जुटाने और मेल-डॉमिनेटेड इंडस्ट्री में जगह बनाने में कई मुश्किलें आईं. लेकिन उनकी हिम्मत और नया सोचने की ताकत ने उन्हें रुकने नहीं दिया. साल 2015 में शे-रोज़ ने गूगल इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर रजनी आनंदन, पेटीएम के विजय शेखर शर्मा, और फ्लिपकार्ट के बिन्नी बंसल जैसे बड़े इनवेस्टर्स से करीब 5 करोड़ रुपये की फंडिंग हासिल की. ये शे-रोज़ के लिए बड़ा टर्निंग पॉइंट था. सायरी ने टेक्नोलॉजी को यूज करके जेंडर गैप को कम करने का रास्ता चुना, और आज उनकी ये मेहनत रंग ला रही है.
शे-रोज़ आज सिर्फ एक प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि औरतों के लिए एक मूवमेंट है. ये औरतों को नेटवर्किंग, मेंटरशिप और जॉब्स का मौका देता है. शे-रोज़ ने एक किताब भी लॉन्च की, “Sheroes Amongst Us - Real Women, Real Stories”, जिसमें 32 औरतों की सक्सेस स्टोरीज है. योरस्टोरी की फाउंडर श्रद्धा शर्मा ने इसे अमेजिंग बताया. ये किताब औरतों की लीडरशिप और सक्सेस की मिसाल है. आज शे-रोज़ से 2.5 मिलियन से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं.
सायरी चहल का मानना है कि टेक्नोलॉजी और औरतों की ताकत मिलकर समाज को बदल सकती है. वो शे-रोज़ को और बड़ा करना चाहती हैं, ताकि ये इंडिया के हर कोने की औरतों तक पहुंचे. वो इसे और भाषाओं में लाने की प्लानिंग कर रही हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा औरतें इससे जुड़ सकें. उनका सपना है कि शे-रोज़ 100 मिलियन औरतों की जिंदगी को छूए. सायरी चहल की कहानी हमें सिखाती है कि अगर हौसला और मेहनत हो, तो कोई भी सपना नामुमकिन नहीं.
सायरी चहल शे-रोज़ की संस्थापक व सीईओ हैं. जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरपुर में हुआ. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में एम.फिल की डिग्री हासिल की. पढ़ाई के दौरान ही सायरी ने उद्यमिता की दुनिया में कदम रखा. साल 1999 में, जब वह कॉलेज में थीं, उन्होंने नाविकों के लिए एक स्थानीय समाचार पत्र शुरू किया, जो उनकी पहली एंट्रेंप्रेनेरशिप पहल थी.
शे-रोज़ की शुरुआतसाल 2014 में सायरी चहल ने शे-रोज़ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य महिलाओं को उनके करियर और व्यक्तिगत विकास में सहायता प्रदान करना था. शुरुआत में, शे-रोज़ का फोकस उन महिलाओं पर था जो मां बनने के बाद फिर से अपने काम पर लौटना चाहती थीं. धीरे-धीरे यह प्लेटफार्म और व्यापक हुआ. जो महिलाओं को न केवल नौकरी सर्च करने में मदद करता है, बल्कि एंटरप्रेन्योरशिप , मेंटरशिप, और सामाजिक प्रभाव जैसे क्षेत्रों में भी प्रेरित करता है.
कई चुनौतियों का किया सामना सायरी की जर्नी आसान नहीं थी. एक औरत उद्यमी के तौर पर उन्हें फंडिंग जुटाने और मेल-डॉमिनेटेड इंडस्ट्री में जगह बनाने में कई मुश्किलें आईं. लेकिन उनकी हिम्मत और नया सोचने की ताकत ने उन्हें रुकने नहीं दिया. साल 2015 में शे-रोज़ ने गूगल इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर रजनी आनंदन, पेटीएम के विजय शेखर शर्मा, और फ्लिपकार्ट के बिन्नी बंसल जैसे बड़े इनवेस्टर्स से करीब 5 करोड़ रुपये की फंडिंग हासिल की. ये शे-रोज़ के लिए बड़ा टर्निंग पॉइंट था. सायरी ने टेक्नोलॉजी को यूज करके जेंडर गैप को कम करने का रास्ता चुना, और आज उनकी ये मेहनत रंग ला रही है.
शे-रोज़ आज सिर्फ एक प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि औरतों के लिए एक मूवमेंट है. ये औरतों को नेटवर्किंग, मेंटरशिप और जॉब्स का मौका देता है. शे-रोज़ ने एक किताब भी लॉन्च की, “Sheroes Amongst Us - Real Women, Real Stories”, जिसमें 32 औरतों की सक्सेस स्टोरीज है. योरस्टोरी की फाउंडर श्रद्धा शर्मा ने इसे अमेजिंग बताया. ये किताब औरतों की लीडरशिप और सक्सेस की मिसाल है. आज शे-रोज़ से 2.5 मिलियन से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं.
सायरी चहल का मानना है कि टेक्नोलॉजी और औरतों की ताकत मिलकर समाज को बदल सकती है. वो शे-रोज़ को और बड़ा करना चाहती हैं, ताकि ये इंडिया के हर कोने की औरतों तक पहुंचे. वो इसे और भाषाओं में लाने की प्लानिंग कर रही हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा औरतें इससे जुड़ सकें. उनका सपना है कि शे-रोज़ 100 मिलियन औरतों की जिंदगी को छूए. सायरी चहल की कहानी हमें सिखाती है कि अगर हौसला और मेहनत हो, तो कोई भी सपना नामुमकिन नहीं.
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