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ETF में निवेश करना कितना सही? ईटीएफ कैसे पैसिव इनकम जनरेट कर सकते हैं? पूरी जानकारी

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शेयर मार्केट में स्टॉक इन्वेस्टमेंट्स के अलावा भी की इंस्ट्रूमेंट्स हैं, जहां निवेशक निवेश करके अच्छा रिटर्न बनाने की उम्मीद करते हैं. इक्विटी इन्वेस्व्टमेंट, म्यूचुअल फंड, एसआईपी, डेट फंड के अलावा एक्सचेंज ट्रेडेड फंड याने ETF भी निवेश का एक माध्यम है. लगातार निवेश करना, सही जगह और सही तरीके से निवेश करना लॉन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएशन के लिए अहम बातें हैं. ईटीएफ को पैसिव इनकम करने का एक माध्यम माना जाता है. जैसा कि नाम से ज़ाहिर है कि यह एक्सचेंज का इंडेक्स फंड है, जो बाज़ार में इंडेक्स के मूवमेंट पर चलता है. एक्सचेंज ट्रेडेड फंड क्या है?एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) एक प्रकार का इन्वेस्टमेंट इन्स्ट्रुमेंट है जो स्टॉक एक्सचेंज पर कारोबार करता है, जैसे कि कोई स्टॉक कारोबार करता है. यह म्यूचुअल फंड की तरह होता है, जो विभिन्न एसेट क्लास जैसे स्टॉक, बॉन्ड, कमोडिटी आदि का एक ग्रुप होता है और यह किसी विशेष इंडेक्स (जैसे निफ्टी 50 या सेंसेक्स) के परफॉर्मेंस को ट्रैक करता है.ETF का मुख्य उद्देश्य उस इंडेक्स के रिटर्न को दोहराना होता है, न कि बाजार को मात देना. इसे पैसिव इनवेस्टमेंट कहा जाता है, क्योंकि इसमें एक्टिव मैनेजमेंट की आवश्यकता कम होती है. इसे आमतौर पर पैसिव इनकम जनरेट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.ETFs निवेशकों को एक ही लेनदेन में अलग एसेट क्लास में निवेश करने का अवसर प्रदान करते हैं, जिससे रिस्क कम होता है और लागत भी कम रहती है. यह स्टॉक की तरह पूरे ट्रेडिंग दिन में खरीदा और बेचा जा सकता है और इसकी कीमत बाजार की मांग और आपूर्ति के आधार पर बदलती रहती है. ETF की शुरुआतETF का इतिहास वैश्विक स्तर पर 1990 के दशक में शुरू हुआ. पहला ETF SPDR S&P 500 ETF (SPY) था, जिसे 1993 में अमेरिका में लॉन्च किया गया. यह ETF S&P 500 इंडेक्स को ट्रैक करता था और इसे निवेशकों के बीच तुरंत लोकप्रियता मिली. भारत में ETFs की शुरुआत 2001 में हुई, जब Nifty BeES (Benchmark Exchange Traded Scheme) को लॉन्च किया गया, जो निफ्टी 50 इंडेक्स को ट्रैक करता है। यह भारत का पहला ETF था.ETFs की लोकप्रियता का कारण उनकी कम लागत, ट्रांसपेरेंट और लिक्विडिटी है. भारत में ETF का उपयोग विशेष रूप से निफ्टी 50, सेंसेक्स, गोल्ड, और सेक्टोरल इंडेक्स जैसे क्षेत्रों में निवेश के लिए बढ़ा है. ETF में एवरेज रिटर्नETF के रिटर्न उस इंडेक्स के प्रदर्शन पर निर्भर करते हैं, जिसे वे ट्रैक करते हैं और इसमें ट्रैकिंग एरर (इंडेक्स और ETF के रिटर्न में अंतर) के कारण थोड़ा अंतर हो सकता है. औसत रिटर्न की गणना कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे:इंडेक्स का परफॉरमेंस इसमें पूरीए भूमिका निभाता है. जैसे निफ्टी 50 ETF का रिटर्न निफ्टी 50 इंडेक्स के प्रदर्शन पर आधारित होगा. पिछले 10 वर्षों में निफ्टी 50 ने औसतन 10-12% प्रति वर्ष का रिटर्न दिया है. ETF कितने प्रकार के हो सकते हैंइक्विटी ETF (जैसे निफ्टी 50) में रिटर्न अधिक हो सकते हैं, लेकिन रिस्क भी अधिक होता है. गोल्ड ETF में औसत रिटर्न 6-8% प्रति वर्ष हो सकता है, जो कम जोखिम भरा होता है.ट्रैकिंग एरर और व्यय अनुपात (Expense Ratio): ETFs में व्यय अनुपात सामान्यतः 0.05% से 0.5% तक होता है, जो सक्रिय रूप से प्रबंधित म्यूचुअल फंड (1-2%) से कम है. यह कम लागत लंबे समय में रिटर्न को बढ़ाती है. निफ्टी 50 के कुछ ETF उदाहरणनिफ्टी 50 इंडेक्स को ट्रैक करने वाले कुछ लोकप्रिय ETFNippon India ETF Nifty 50 BeES: भारत का पहला ETF, जो निफ्टी 50 को ट्रैक करता है. इसका व्यय अनुपात कम (लगभग 0.04%) है.ICICI Prudential Nifty 50 ETF: निफ्टी 50 के प्रदर्शन को दोहराने वाला एक और लोकप्रिय ETF, जिसमें उच्च लिक्विडिटी और कम ट्रैकिंग एरर है.SBI ETF Nifty 50: यह ETF निफ्टी 50 के प्रदर्शन को ट्रैक करता है और इसका व्यय अनुपात 0.07% है.UTI Nifty 50 ETF: यह भी निफ्टी 50 को ट्रैक करता है और लंबी अवधि के निवेश के लिए उपयुक्त है.HDFC Nifty 50 ETF: यह ETF निफ्टी 50 के टॉप 50 ब्लू-चिप कंपनियों में निवेश करता है.
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