क्या आप भी अक्सर ट्रेन में सफर करती हैं? तो आपको भारतीय रेलवे द्वारा महिलाओं के लिए बनाए गए नियमों के बारे में जानकारी होनी चाहिए. इन नियमों के बारे में 99% महिलाएं नहीं जानती हैं. रेलवे के विशाल नेटवर्क में महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए कई विशेष नियम और अधिकार बनाए गए हैं. चलिए विस्तार से जानते हैं महिलाओं के लिए रेलवे द्वारा बनाए गए ये खास नियम.
1.रात में बिना टिकट यात्रा करने वाली महिलाओं को नहीं उतारा जा सकताभारतीय रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 139 के नियम के अनुसार यदि कोई महिला या नाबालिग रात के समय बिना टिकट के भी यात्रा करें तो उन्हें ट्रेन से नहीं उतारा जा सकता. महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर रेलवे ने यह नियम बनाया है. यदि महिला टिकट नहीं होने पर जुर्माना भरने में असमर्थ है तो भी ते उसे ट्रेन से नहीं उतार सकते. उन्हें अगले जिला मुख्यालय स्टेशन तक यात्रा करने की अनुमति मिल सकती है, जहां से दूसरी ट्रेन पकड़ सकती है.
2. महिलाओं के लिए अलग रिजर्व कोच और सीटेंमहिलाओं की सुविधा और सुरक्षा को देखते हुए भारतीय रेलवे ने ट्रेनों में महिलाओं के लिए स्पेशल कोटा और अलग कोच की व्यवस्था भी की है. सभी प्रकार की पैसेंजर ट्रेन में महिलाओं के लिए एक कोच आरक्षित होता है. इतना ही नहीं स्लीपर और सेकंड सिटिंग क्लास में लेडीज कोटा के अंतर्गत 6-12 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व होती हैं.
वहीं यदि महिलाओं की उम्र 45 वर्ष से अधिक है, या महिला गर्भवती या दिव्यांग हैं तो उनके लिए भी स्लीपर, 3एसी और 2एसी कोच में लोअर बर्थ भी प्राथमिकता के आधार पर आवंटित की जाती हैं.
3. सीट बदलने का अधिकारयदि ट्रेन में सफर के दौरान किसी महिला को अपनी सीट पर असहज महसूस हो रहा है तो वह टीटीई से संपर्क करके अपनी सीट बदलवा सकती है. यह सुविधा विशेष रूप से अकेले यात्रा करने वाली महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है ताकि उनका सफर सुरक्षित और आरामदायक बीते.
4. रेलवे की मेरी सहेली पहल भारतीय रेलवे के द्वारा मेरी सहेली पहल की शुरुआत की गई है जिसके अंतर्गत यदि कोई महिला अकेले सफर करती है तो उनकी सुरक्षा के लिए महिला सुरक्षा कर्मियों के तैनाती की जाती है. इन सुरक्षा कर्मियों के द्वारा समय-समय पर महिलाओं से उनका हाल-चाल पूछा जाता है और आप आपकी स्थिति में तुरंत सहायता मुहैया कराई जाती है. इसके अलावा महिलाओं को ज्यादा सुरक्षा देने के उद्देश्य से रेलवे स्टेशन हो और ट्रेनों में भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जाते हैं.
5. अलग वेटिंग लाउंज और महिला काउंटरमहिलाओं के लिए रेलवे स्टेशनों पर वेटिंग लाउंज की अलग से व्यवस्था भी की जाती है ताकि वे सुरक्षित रूप से ट्रेन का इंतजार कर सके. इस सुविधा की शुरुआत भी खास तौर पर अकेले ट्रेन में यात्रा करने वाली महिलाओं के लिए की गई है.
6. टिकट में रियायत और अन्य सुविधाएंयदि महिला की उम्र 58 वर्ष या उससे अधिक है तो उन्हें मेल एक्सप्रेस, राजधानी, शताब्दी, जनशताब्दी और दूरंतो ट्रेनों में 50% किराए में छूट मिलती है. कई बार गर्भवती और मरीज महिलाओं को भी टिकट पर छूट का लाभ मिल सकता है.
7. आपात स्थिति में हेल्पलाइन नंबरमहिलाओं की सुरक्षा के लिए रेलवे ने 24x7 हेल्पलाइन नंबर 139 शुरू किया है, जहां किसी भी आपात स्थिति में तुरंत सहायता मांगी जा सकती है.
8. मिडिल बर्थ और अन्य नियममिडिल बर्थ के लिए भी ट्रेनों में अलग से नियम बनाए गए हैं. मिडिल बर्थ जिन यात्रियों को मिलती है वे केवल रात 10:00 बजे से लेकर सुबह के 6:00 तक ही सो सकते हैं. इतना ही नहीं रात के 10:00 से लेकर सुबह के 6:00 तक टीटीई टिकट चेक करने के लिए यात्रियों को परेशान नहीं कर सकते हैं.
9. हेल्पलाइन नंबर सेव करें139 या स्थानीय RPF/GRP नंबर अपने फोन में सेव रखें. अगर संभव हो, तो हमेशा महिला कोच में यात्रा करें.
1.रात में बिना टिकट यात्रा करने वाली महिलाओं को नहीं उतारा जा सकताभारतीय रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 139 के नियम के अनुसार यदि कोई महिला या नाबालिग रात के समय बिना टिकट के भी यात्रा करें तो उन्हें ट्रेन से नहीं उतारा जा सकता. महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर रेलवे ने यह नियम बनाया है. यदि महिला टिकट नहीं होने पर जुर्माना भरने में असमर्थ है तो भी ते उसे ट्रेन से नहीं उतार सकते. उन्हें अगले जिला मुख्यालय स्टेशन तक यात्रा करने की अनुमति मिल सकती है, जहां से दूसरी ट्रेन पकड़ सकती है.
2. महिलाओं के लिए अलग रिजर्व कोच और सीटेंमहिलाओं की सुविधा और सुरक्षा को देखते हुए भारतीय रेलवे ने ट्रेनों में महिलाओं के लिए स्पेशल कोटा और अलग कोच की व्यवस्था भी की है. सभी प्रकार की पैसेंजर ट्रेन में महिलाओं के लिए एक कोच आरक्षित होता है. इतना ही नहीं स्लीपर और सेकंड सिटिंग क्लास में लेडीज कोटा के अंतर्गत 6-12 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व होती हैं.
वहीं यदि महिलाओं की उम्र 45 वर्ष से अधिक है, या महिला गर्भवती या दिव्यांग हैं तो उनके लिए भी स्लीपर, 3एसी और 2एसी कोच में लोअर बर्थ भी प्राथमिकता के आधार पर आवंटित की जाती हैं.
3. सीट बदलने का अधिकारयदि ट्रेन में सफर के दौरान किसी महिला को अपनी सीट पर असहज महसूस हो रहा है तो वह टीटीई से संपर्क करके अपनी सीट बदलवा सकती है. यह सुविधा विशेष रूप से अकेले यात्रा करने वाली महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है ताकि उनका सफर सुरक्षित और आरामदायक बीते.
4. रेलवे की मेरी सहेली पहल भारतीय रेलवे के द्वारा मेरी सहेली पहल की शुरुआत की गई है जिसके अंतर्गत यदि कोई महिला अकेले सफर करती है तो उनकी सुरक्षा के लिए महिला सुरक्षा कर्मियों के तैनाती की जाती है. इन सुरक्षा कर्मियों के द्वारा समय-समय पर महिलाओं से उनका हाल-चाल पूछा जाता है और आप आपकी स्थिति में तुरंत सहायता मुहैया कराई जाती है. इसके अलावा महिलाओं को ज्यादा सुरक्षा देने के उद्देश्य से रेलवे स्टेशन हो और ट्रेनों में भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जाते हैं.
5. अलग वेटिंग लाउंज और महिला काउंटरमहिलाओं के लिए रेलवे स्टेशनों पर वेटिंग लाउंज की अलग से व्यवस्था भी की जाती है ताकि वे सुरक्षित रूप से ट्रेन का इंतजार कर सके. इस सुविधा की शुरुआत भी खास तौर पर अकेले ट्रेन में यात्रा करने वाली महिलाओं के लिए की गई है.
6. टिकट में रियायत और अन्य सुविधाएंयदि महिला की उम्र 58 वर्ष या उससे अधिक है तो उन्हें मेल एक्सप्रेस, राजधानी, शताब्दी, जनशताब्दी और दूरंतो ट्रेनों में 50% किराए में छूट मिलती है. कई बार गर्भवती और मरीज महिलाओं को भी टिकट पर छूट का लाभ मिल सकता है.
7. आपात स्थिति में हेल्पलाइन नंबरमहिलाओं की सुरक्षा के लिए रेलवे ने 24x7 हेल्पलाइन नंबर 139 शुरू किया है, जहां किसी भी आपात स्थिति में तुरंत सहायता मांगी जा सकती है.
8. मिडिल बर्थ और अन्य नियममिडिल बर्थ के लिए भी ट्रेनों में अलग से नियम बनाए गए हैं. मिडिल बर्थ जिन यात्रियों को मिलती है वे केवल रात 10:00 बजे से लेकर सुबह के 6:00 तक ही सो सकते हैं. इतना ही नहीं रात के 10:00 से लेकर सुबह के 6:00 तक टीटीई टिकट चेक करने के लिए यात्रियों को परेशान नहीं कर सकते हैं.
9. हेल्पलाइन नंबर सेव करें139 या स्थानीय RPF/GRP नंबर अपने फोन में सेव रखें. अगर संभव हो, तो हमेशा महिला कोच में यात्रा करें.
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