इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया जारी है. कई लोग आईटीआर फाइल कर चुके हैं, वहीं कई फाइल करने की तैयारी कर रहे हैं. आईटीआर फाइल करते समय कई ऐसे दावे किए जाते हैं जिससे कि टैक्स का भार कम हो सके. लेकिन यदि आपके द्वारा किए जा रहे क्लेम गलत जानकारी के आधार पर हो और फर्जी दावे हो तो इसका आपको गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है. फर्जी दावों को भी आयकर अधिनियम 1961 के अंतर्गत टैक्स चोरी माना जा सकता है.
आईटीआर में गलत जानकारी देने पर कितना भरना पड़ेगा जुर्माना?आयकर अधिनियम की धारा 271(1)(c) के अंतर्गत यदि करदाता गलत जानकारी अपने आईटीआर में फाइल करते हैं या आय छुपाते हैं तो उन्हें 100% से लेकर 300% तक जुर्माना का भुगतान करना पड़ सकता है. इसके अलावा यदि आप सही इनकम पर टैक्स का भुगतान नहीं करते हैं तो आपको ब्याज का भी भुगतान करना पड़ सकता है जो एक प्रतिशत प्रति माह की दर से लगाया जा सकता है.
यदि आयकर विभाग को संदेह होता है कि किसी करदाता ने गलत जानकारी दी है या अपनी इनकम छुपाई है तो वह रिटर्न की दोबारा जांच कर सकते हैं.
जाना पड़ सकता है जेल
आयकर रिटर्न दाखिल करने किए गए फर्जी क्लेम आपको जेल भी पहुंचा सकते हैं. आयकर अधिनियम की धारा 276C और 277 के अंतर्गत फर्जी जानकारी देने वालों को 6 महीने से 7 साल तक की जेल की सजा भी हो सकती है.
आयकर विभाग की नजर ऐसे टैक्सपेयर जो अपने आईटीआर में फर्जी जानकारी दर्ज करते हैं वे आयकर विभाग की नजरों में आ जाते हैं. कई मामलों में जांच के दौरान बैंक खाता संपत्तियां या अन्य वित्तीय लेनदेन की जांच हो सकती है. यदि पूरे यह कर का भुगतान नहीं किया जाता है तो करदाता की संपत्ति बैंक खाते को जब्त भी किया जा सकता है.
यदि आप भी चाहते हैं कि ऐसी परिस्थितियों में ना फंसे तो अपने आयकर रिटर्न में सही जानकारियां दर्ज करें. अपनी सभी इनकम का सही विवरण. यदि आप छूट प्राप्त करना चाहते हैं तो इसके लिए वैध दस्तावेज जमा करें और किसी टैक्स एक्सपर्ट जैसे चार्टर्ड अकाउंटेंट से सलाह लें.
आईटीआर में गलत जानकारी देने पर कितना भरना पड़ेगा जुर्माना?आयकर अधिनियम की धारा 271(1)(c) के अंतर्गत यदि करदाता गलत जानकारी अपने आईटीआर में फाइल करते हैं या आय छुपाते हैं तो उन्हें 100% से लेकर 300% तक जुर्माना का भुगतान करना पड़ सकता है. इसके अलावा यदि आप सही इनकम पर टैक्स का भुगतान नहीं करते हैं तो आपको ब्याज का भी भुगतान करना पड़ सकता है जो एक प्रतिशत प्रति माह की दर से लगाया जा सकता है.
यदि आयकर विभाग को संदेह होता है कि किसी करदाता ने गलत जानकारी दी है या अपनी इनकम छुपाई है तो वह रिटर्न की दोबारा जांच कर सकते हैं.
जाना पड़ सकता है जेल
आयकर रिटर्न दाखिल करने किए गए फर्जी क्लेम आपको जेल भी पहुंचा सकते हैं. आयकर अधिनियम की धारा 276C और 277 के अंतर्गत फर्जी जानकारी देने वालों को 6 महीने से 7 साल तक की जेल की सजा भी हो सकती है.
आयकर विभाग की नजर ऐसे टैक्सपेयर जो अपने आईटीआर में फर्जी जानकारी दर्ज करते हैं वे आयकर विभाग की नजरों में आ जाते हैं. कई मामलों में जांच के दौरान बैंक खाता संपत्तियां या अन्य वित्तीय लेनदेन की जांच हो सकती है. यदि पूरे यह कर का भुगतान नहीं किया जाता है तो करदाता की संपत्ति बैंक खाते को जब्त भी किया जा सकता है.
यदि आप भी चाहते हैं कि ऐसी परिस्थितियों में ना फंसे तो अपने आयकर रिटर्न में सही जानकारियां दर्ज करें. अपनी सभी इनकम का सही विवरण. यदि आप छूट प्राप्त करना चाहते हैं तो इसके लिए वैध दस्तावेज जमा करें और किसी टैक्स एक्सपर्ट जैसे चार्टर्ड अकाउंटेंट से सलाह लें.
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