रूस के पूर्वी कमचटका प्रायद्वीप के पास मंगलवार को 8.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया. इससे क्षेत्र में कई जगहों पर ऊंची सुनामी लहरें उठ रही हैं.
भूकंप का असर जापान तक पहुंच गया है. फुकुशिमा दाइची और फुकुशिमा दाइनी न्यूक्लियर प्लांट को एहतियातन खाली करा लिया गया है.
गौरतलब है कि साल 2011 में जब जापान में 9 तीव्रता का भूकंप आया था, तब फुकुशिमा में बड़ा परमाणु हादसा हुआ था.
अमेरिका ने अलास्का और हवाई में सुनामी की चेतावनी जारी की है. वहीं, गुआम और माइक्रोनेशिया के द्वीपों को 'सुनामी वॉच' पर रखा गया है.
अमेरिकी राज्य हवाई के गवर्नर जोश ग्रीन ने लोगों से शांति बनाए रखने और ऊंचाई वाली जगहों पर जाने का आग्रह किया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी सुनामी चेतावनियों को लेकर सतर्क रहने की अपील की है.
चीन, फिलीपींस, इंडोनेशिया, गुआम, पेरू और इक्वाडोर के पास स्थित गैलापागोस द्वीपों के कुछ हिस्सों में भी विभिन्न स्तरों की सुनामी चेतावनियां जारी की गई हैं.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि हवाई से फिलहाल सुनामी का असर दूर है, लेकिन लोगों ने इलाके से बाहर निकलना शुरू कर दिया है.
भूकंप विशेषज्ञों ने कहा है कि यदि हवाई में सुनामी आती है, तो इसका प्रभाव सीमित होगा और यह विनाशकारी नहीं होगा.
रूस में भूकंप के बाद जापान के होक्काइडो प्रांत में पहली सुनामी लहरें दर्ज की गई हैं, जिनकी ऊंचाई लगभग 40 सेंटीमीटर थी. यह इलाका रूस की पूर्वी सीमा के निकट स्थित है.

सुनामी के बाद इस भूकंप का असर जापान तक महसूस किया गया है.
एहतियातन जापान के फुकुशिमा दाइची और फुकुशिमा दाइनी न्यूक्लियर प्लांट को खाली करा लिया गया है, ताकि किसी तरह का हादसा न हो.
इन प्लांटों में परमाणु मलबा मौजूद होने के कारण गंभीर रेडिएशन का ख़तरा हो सकता है.
जापान के कई इलाकों में लोगों को ऊंचाई वाली जगहों पर जाने और समुद्र तटों से दूर रहने की सलाह दी गई है.
स्थानीय प्रशासन ने तटीय क्षेत्रों को खाली करने का निर्देश जारी किया है.
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बुधवार को आए भूकंप की तीव्रता 8.8 थी, जो 1952 में कमचटका में आए 9 तीव्रता के भूकंप की तरह शक्तिशाली था.
इस भूकंप से रूस के सुदूर पूर्वी इलाकों में कुछ लोगों के घायल होने की खबर है.
सुनामी की लहरों के कारण सेवेरो कुरिलस्क क्षेत्र के कुछ हिस्सों में बाढ़ आ गई है.
पेत्रोपावलोव्स्क इलाके में भी कुछ इमारतों को नुक़सान पहुंचा है.
स्थानीय प्रशासन स्थिति पर निगरानी बनाए हुए है.
सुनामी क्या है?
समुद्र में उठी कई मीटर ऊंची लहरों को सुनामी कहा जाता है.
जब समुद्र के भीतर अचानक बड़ी और तेज़ हलचल होती है, तो पानी में उफान आने लगता है. इससे लंबी और ऊंची लहरों का एक रेला बनता है, जो ज़बरदस्त गति से तट की ओर बढ़ता है.
इन्हीं लहरों के इस समूह को सुनामी कहा जाता है.
'सुनामी' शब्द जापानी भाषा से आया है. इसमें 'सू' का अर्थ है 'समुद्र तट' और 'नामी' का मतलब है 'लहरें'.
पहले सुनामी को समुद्र में आने वाले सामान्य ज्वार-भाटे जैसा माना जाता था, लेकिन ऐसा नहीं है.
दरअसल, सामान्य समुद्री लहरें चंद्रमा, सूर्य और अन्य ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से बनती हैं.
जबकि सुनामी लहरें भूगर्भीय हलचलों, जैसे भूकंप, समुद्र के भीतर ज्वालामुखी विस्फोट या ज़मीन खिसकने की वजह से उत्पन्न होती हैं. ये लहरें सामान्य लहरों से कहीं अधिक तेज़ और विनाशकारी होती हैं.
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सुनामी लहरों के उत्पन्न होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे प्रभावी कारण होता है भूकंप.
इसके अलावा, समुद्र की ज़मीन धंसने, ज्वालामुखी फटने, किसी बड़े विस्फोट या कभी-कभी उल्कापात के प्रभाव से भी सुनामी लहरें उठ सकती हैं.
सुनामी लहरों का कितना असर, पूर्वानुमान लगाना मुमकिन?सुनामी लहरें समुद्री तटों पर तेज़ी से टकराती हैं और बड़े पैमाने पर जान-माल का नुक़सान कर सकती हैं.
जैसे वैज्ञानिक भूकंप की सटीक भविष्यवाणी नहीं कर सकते, वैसे ही सुनामी के समय और स्थान का भी पहले से अंदाज़ा लगाना मुश्किल होता है.
हालांकि, अब तक के रिकॉर्ड और महाद्वीपों की स्थितियों के आधार पर वैज्ञानिक कुछ संभावनाएं ज़रूर व्यक्त करते हैं.
धरती की टेक्टॉनिक प्लेट्स जहां-तहां मिलती हैं, उनके आसपास के समुद्री क्षेत्र सुनामी के लिए अधिक संवेदनशील माने जाते हैं.
उदाहरण के लिए, जहां ऑस्ट्रेलियाई प्लेट और यूरेशियाई प्लेट मिलती हैं, वहीं स्थित है सुमात्रा. यह क्षेत्र आगे फिलीपीनी प्लेट से भी जुड़ा है.
इन क्षेत्रों में पहले भी सुनामी लहरों का विनाशकारी असर देखा जा चुका है.
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जब भी किसी शक्तिशाली भूकंप की वजह से समुद्र की ऊपरी परत अचानक खिसक जाती है, तो समुद्र का पानी ऊपर की दिशा में उठने लगता है.
इस दौरान जो लहरें बनती हैं, उन्हें सुनामी लहरें कहा जाता है.
इसे ऐसे समझा जा सकता है जैसे धरती की ऊपरी परतें फुटबॉल की सिलाई या दरारों वाले अंडे के खोल की तरह होती हैं.
अंडे का बाहरी हिस्सा सख़्त होता है, लेकिन भीतर का पदार्थ नरम और तरल होता है.
भूकंप के झटकों से इन दरारों में खिंचाव आता है, जिससे अंदर का द्रव पदार्थ तेज़ी से ऊपर की ओर दबाव बनाता है और समुद्र की सतह पर बड़ी लहरें उठने लगती हैं.
धरती की परतें जब खिसकती हैं, तो उनसे नई भौगोलिक संरचनाएं जैसे महाद्वीप भी बनते हैं. ऐसी ही हलचल समुद्र के नीचे हो, तो सुनामी की संभावना बढ़ जाती है.
हालांकि, यह ज़रूरी नहीं कि हर भूकंप से सुनामी आए. इसके लिए भूकंप का केंद्र समुद्र के भीतर या उसके बिल्कुल पास होना आवश्यक है.
तट से टकराती लहरों का कितना असर?जब सुनामी लहरें किसी महाद्वीप की उस सतही परत तक पहुंचती हैं, जहां वह दूसरी टेक्टॉनिक प्लेट से जुड़ती है (जिसे भूगर्भीय दरार भी कहा जा सकता है) तो उनकी रफ्तार कुछ हद तक धीमी हो जाती है.
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन दरारों से पानी को भीतर की ओर रास्ता मिल जाता है, और लहर की ऊर्जा का कुछ हिस्सा वहीं बंट जाता है.
लेकिन इसके बाद जब ये लहरें समुद्र के भीतर के पानी के साथ मिलकर किनारे की ओर बढ़ती हैं, तो उनकी ऊंचाई और ताक़त अचानक बढ़ जाती है.
ऐसी स्थिति में ये लहरें 30 मीटर तक ऊंची हो सकती हैं और जब वे तट से टकराती हैं, तो उनके रास्ते में आने वाले पेड़, जंगल, इमारतें- कुछ भी उनका सामना नहीं कर पाते.
इस कारण ये लहरें भारी तबाही का सबब बन जाती हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित
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