
अमरोहा ज़िले के फ़त्तेपुर माफ़ी गाँव में आधी रात होने को है, लेकिन लोगों की आँखों में नींद नहीं है. उनके हाथों में लाठी-डंडे और देसी हथियार हैं.
पिछले कुछ हफ़्तों से गाँव के लोग पूरी रात जागकर पहरेदारी कर रहे हैं.
गाँव के नौजवान छोटे-छोटे समूहों में गलियों और खेतों में गश्त लगाते हैं. लेकिन उनकी निगाहें ज़्यादा ज़मीन पर नहीं, बल्कि आसमान में रहती हैं.
जब एक युवक से पूछा गया कि वह ऊपर क्या देख रहा है, तो उसने कहा, "ड्रोन." ग्रामीणों को शक है कि ये ड्रोन चोरों की मदद करते हैं.
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अब तक ड्रोन और चोरी की घटनाओं के बीच किसी तरह का सीधा संबंध साबित नहीं हुआ है.
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मुरादाबाद के एसपी सिटी कुमार रणविजय सिंह ने कहा, "एक अलग तरह का पैटर्न बनता दिख रहा है. सबसे पहले ड्रोन दिखने की शिकायत संभल से आई, फिर अमरोहा और उसके बाद मुरादाबाद में. अब रामपुर से भी ऐसी जानकारी मिल रही है."
दुनिया भर में ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल निगरानी, डिलीवरी और आपात सेवाओं में हो रहा है. लेकिन अमरोहा के फ़त्तेपुर गाँव के लोगों का कहना है कि वे इस तकनीक का एक अलग और चिंताजनक चेहरा देख रहे हैं.
स्थानीय लोगों का मानना है कि ड्रोन चोरी की तैयारी का संकेत होते हैं. उन्हें लगता है कि पहले ड्रोन उड़ता है, फिर संदिग्ध लोगों की गतिविधियाँ दिखाई देती हैं.
ड्रोन से सर्वे और फिर चोरी?पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में ड्रोन उड़ानों को लेकर ग्रामीणों में डर और संदेह बढ़ता जा रहा है. लोगों का मानना है कि ड्रोन से पहले उनके इलाक़े का जायज़ा लिया जाता है और उसके बाद चोरी की वारदात को अंजाम दिया जाता है.
बिजनौर, अमरोहा और मुरादाबाद के कई गाँवों में लोग अब रात में जाग-जागकर पहरेदारी कर रहे हैं. अमरोहा के मीरपुर गाँव की मंजिया बताती हैं कि "पहले ड्रोन आता है और उसके बाद गाँव के आसपास कुछ संदिग्ध लोग दिखाई देते हैं."
हालांकि, पुलिस इन आशंकाओं को खारिज कर रही है. अमरोहा के पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद ने कहा, "ड्रोन और चोरियों के बीच कोई संबंध स्थापित नहीं हो पाया है. छिटपुट चोरी की घटनाएँ ज़रूर हुई हैं, लेकिन उनका ड्रोन से कोई लेना-देना नहीं है."
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अमरोहा ज़िले के फ़त्तेपुर माफ़ी गाँव में ड्रोन और चोरी की आशंका के चलते ग्रामीणों ने अब रात में लाठी-डंडे लेकर गश्त तेज़ कर दी है. गाँव में अब अलग-अलग समूह बनाकर लोग शिफ़्ट में पूरी रात ड्यूटी कर रहे हैं.
हम जब गाँव में मौजूद थे, तभी कुछ लोगों को फ़ोन आया कि पास के गाँव में संदिग्ध लोग देखे गए हैं. गाँववालों के साथ जब हम मौके पर पहुँचे, तो पाया कि दो गाँवों के लोग पहले से वहाँ मौजूद थे. कुछ ग्रामीणों ने बताया कि मोटरसाइकिल पर कुछ संदिग्ध लोग दिखाई दिए थे, लेकिन वे भाग गए.
थोड़ी देर बाद ग्रामीण दूसरी दिशा में तलाश के लिए निकल गए. हालांकि वह संदिग्ध व्यक्ति नहीं मिला, जिसकी उन्हें तलाश थी.
मौके पर मौजूद सलमान ने कहा, "ड्रोन तो दिखाई दे रहे हैं. कल ही लोगों ने देखा था. वह गाँव के ऊपर मँडरा रहा था. थोड़ी देर बाद गाँव के दूसरी तरफ कुछ लोग आते दिखे, लेकिन जागते हुए लोगों को देखकर वे लौट गए."
इलाके के लोगों का मानना है कि ड्रोन उड़ाकर पहले ध्यान भटकाया जाता है. जैसे ही लोग ड्रोन की ओर भागते हैं, गाँव में सन्नाटा हो जाता है, जिसका फ़ायदा चोर उठा सकते हैं.
मीरपुर गाँव में भी लोग पूरी रात जाग रहे हैं. महिलाएँ तक रात में घरों के बाहर बैठी रहती हैं. गाँव की यशोदा बताती हैं, "हम कई दिनों से रात में बाहर बैठते हैं. डर बना हुआ है. ड्रोन उड़ रहे हैं, लेकिन पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही."
उनके साथ बैठी राजकुमारी कहती हैं, "पुलिस गाँव में कम आती है. कॉल करने पर ही आती है. हमारे परिवार के कुछ लोग बाहर रहते हैं, इसलिए और भी डर लगता है."
कई लोगों ने मोबाइल फ़ोन पर ड्रोन के वीडियो भी दिखाए. साक़िब नाम के ग्रामीण ने बताया, "मैं ठीक से चल भी नहीं सकता, फिर भी रात भर जागकर पहरेदारी करनी पड़ रही है. जो लोग कहते हैं कि ड्रोन नहीं हैं, वे किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहे हैं."
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अमरोहा के अलावा मुरादाबाद में भी लोग ड्रोन की उड़ानों को लेकर डरे हुए हैं. मुरादाबाद शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर महलकपुर गाँव की आबादी लगभग पाँच हज़ार है. आमतौर पर जहाँ अंधेरा होते ही गाँव शांत हो जाता था, वहीं अब देर रात तक लोग घरों के बाहर बैठे नजर आते हैं.
गाँव में परचून की दुकान चलाने वाले इकरार ने बताया, "22 जुलाई की रात करीब एक बजे गाँव के बाहर एक ड्रोन दिखाई दिया. मैं छत पर जाग रहा था. तकरीबन दो बजे के आसपास ड्रोन एक ओर से आया और दूसरी ओर चला गया."
ड्रोन की आशंका को लेकर गाँव में कुछ लोग रात भर छतों पर पहरेदारी करते हैं. महलकपुर के पूर्व प्रधान भूरे ख़ान भी गाँववालों के साथ घर के बाहर बैठे नजर आए. उन्होंने कहा, "मैंने खुद ड्रोन नहीं देखा है, लेकिन गाँव बड़ा है, इसलिए दूसरी तरफ़ दिखने की बात सुनी है. लोग सतर्क हैं, रात में छतों पर जागते हैं और फ़ोन पर एक-दूसरे से संपर्क बनाए रखते हैं. पुलिस भी रात में एक-दो बार आती है."
स्थानीय लोगों ने बताया कि एक महीने पहले गाँव में चोरी हुई थी, जिसके बाद से लोग और अधिक सतर्क हो गए हैं.
बरेली में भी ड्रोन की वजह से दहशत का माहौल है. 28 जुलाई को फ़तेहगंज पश्चिमी क्षेत्र के मरौली गाँव में एक मकान की छत पर ड्रोन मिला. इसे भी हालिया चोरी की घटनाओं से जोड़कर देखा जा रहा है.
बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि इस तरह की कॉल्स 112 नंबर पर लगातार आ रही हैं. पुलिस के मुताबिक़, मरौली गाँव में मिला ड्रोन बच्चों का था और उसमें कैमरा नहीं था. फिर भी पुलिस मामले की जाँच कर रही है.
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ड्रोन और चोरी की अफ़वाहों के बीच कई इलाकों में संदिग्ध मानकर लोगों के साथ मारपीट की घटनाएं सामने आई हैं. पुलिस का कहना है कि ऐसी कार्रवाई से बचा जाए, लेकिन गाँवों में अब भी अनजाने लोगों को शक की नज़र से देखा जा रहा है.
26 जुलाई को संभल निवासी तीन लोग अपने घर लौट रहे थे, लेकिन रास्ता भटककर अमरोहा के डिडौली थाने के पतेई गाँव पहुंच गए. गाँववालों ने उन्हें रोका और चोर समझकर मारपीट की. इस मामले में एफ़आईआर दर्ज की गई है.
14 जुलाई को हसनपुर से अपने घर लौट रहे ज़ाहिद को भी भीड़ ने चोर समझकर पीटा और उनकी बाइक तोड़ दी.
ज़ाहिद ने बताया, "मैंने रास्ते में भीड़ देखकर पूछा तो बताया गया कि चोरी हुई है. जब मैं आगे बढ़ा तो कुछ लोगों ने रोक लिया और मारपीट शुरू कर दी. मुझे पुलिस के आने पर बचाया गया."
इसी तरह मेरठ के किठौर क्षेत्र में कपड़े की फेरी लगाने वाले आरिफ़ के साथ भी मारपीट की गई. इस मामले में स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है.
अमरोहा के एसपी अमित कुमार आनंद ने कहा, "कई जगहों पर गाँववालों ने संदिग्ध पकड़े थे, लेकिन पूछताछ में वे आसपास के लोग या राहगीर निकले."
पुलिस ने अब रात में गश्त बढ़ा दी है और सुनसान रास्तों पर राहगीरों से पूछताछ की जा रही है. हालांकि पुलिस का कहना है कि अब तक चोरी की कोई बड़ी वारदात नहीं हुई है, लेकिन कई गाँवों में डर का माहौल बना हुआ है.
पुलिस का क्या कहना है?मुरादाबाद और अमरोहा के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ड्रोन का चोरी की घटनाओं से कोई संबंध नहीं है.
अमरोहा के एसपी अमित कुमार आनंद ने बताया कि पहले उनके कंट्रोल रूम में ड्रोन दिखाई देने की काफी शिकायतें आती थीं, लेकिन अब ऐसी कॉल्स में कमी आई है.
उन्होंने कहा, "हमने ज़िले में ड्रोन रखने वाले सभी लोगों की मीटिंग बुलाई और उन्हें ज़रूरी दिशा-निर्देश दिए. पहले जो कॉल्स आती थीं, उनमें पुलिस टीम के पहुंचने से पहले ही ड्रोन ग़ायब हो जाते थे."
हालांकि, पुलिस के स्पष्टीकरण के बावजूद गाँवों में लोगों के बीच डर बना हुआ है. पुलिस अधिकारी ग्रामीणों के दावों को सही नहीं मानते.
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ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर सरकार के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने कई नियम तय किए हैं.
ड्रोन के लिए यूनिक आइडेंटिफ़िकेशन नंबर लेना ज़रूरी होता है. पंजीकरण के बाद ड्रोन को एक डिजिटल टैग जारी किया जाता है.
इसे उड़ाने के लिए हर बार अनुमति लेना अनिवार्य नहीं है, लेकिन संवेदनशील इलाकों में बिना इजाज़त ड्रोन नहीं उड़ाया जा सकता.
माइक्रो और उससे बड़े ड्रोन के संचालन के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य है.
नियमों के अनुसार, रात में ड्रोन उड़ाने के लिए स्थानीय पुलिस से भी अनुमति लेनी पड़ती है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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