Next Story
Newszop

वो 5 चीज़ें जो बताती हैं कि भारत टैरिफ़ का वार झेल सकता है

Send Push
image PA

"आज दुनिया में आर्थिक स्वार्थ वाली राजनीति है. सब कोई अपना-अपना करने में लगे हैं. उसे हम भलीभांति देख रहे हैं. हम पर दबाव बढ़ सकता है, लेकिन हम इसे सहन कर लेंगे."

रूस से तेल ख़रीदने पर ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 25 फ़ीसदी अतिरिक्त टैरिफ़ लगाया है. यानी भारत पर कुल मिलाकर 50 फ़ीसदी टैरिफ़ बुधवार सुबह साढ़े नौ बजे से लागू हो गए हैं.

इनके लागू होने से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात दौरे पर हैं. सोमवार को वहाँ एक कार्यक्रम में उन्होंने जो कुछ कहा उसमें से अधिकतर हिस्सा भारतीय अर्थव्यवस्था और 'आत्मनिर्भर भारत' से जुड़ा हुआ था.

उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता और स्वदेशी ही विकसित भारत के निर्माण की नींव है.

उन्होंने कहा कि भारत ने आत्मनिर्भरता को एक विकसित राष्ट्र बनाने की नींव बनाया है. यह तभी संभव है जब हमारे किसान, मछुआरे, पशुपालक और उद्यमी मजबूत हों. प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि उनकी सरकार छोटे उद्यमियों, किसानों, दुकानदारों और पशुपालकों के हितों की रक्षा करती रहेगी.

"अहमदाबाद की धरती से मैं कहना चाहता हूं कि छोटे उद्यमियों और किसानों का कल्याण मेरे लिए सर्वोपरि है. हम उनके हितों को आंच नहीं आने देंगे."

मंगलवार को गुजरात के हंसलपुर में उन्होंने स्वदेशी की अपनी परिभाषा बताई.

उन्होंने कहा कि जापान की ओर से भारत में किया जा रहा उत्पादन भी स्वदेशी है.

उन्होंने कहा, "यहाँ जापान के द्वारा जो चीज़ें बनाई जा रही हैं वह भी स्वदेशी है. मेरी स्वदेशी की व्याख्या बहुत सिंपल है. पैसा किसका लगता है, उससे लेना-देना नहीं है. डॉलर है, पाउंड है, वह करेंसी काली है या गोरी है, मुझे लेना-देना नहीं है. लेकिन जो प्रोडक्शन है उसमें पसीना मेरे देशवासियों का होगा."

  • ट्रंप की नई चेतावनी: किसी भी देश ने ये क़दम उठाया तो अमेरिका लगाएगा टैरिफ़
  • 'अब मैं मज़दूरों को तनख़्वाह कैसे दूंगा'- ट्रंप के टैरिफ़ ने इन भारतीय फ़ैक्ट्रियों की कमर तोड़ी
  • भारत पर अमेरिकी टैरिफ़ 27 अगस्त से होंगे लागू, जानिए टैरिफ़ क्या होता है और किसे चुकाना पड़ता है?

अमेरिका ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से पहले की गई घोषणा के अनुसार भारतीय सामानों पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाने का एक ड्राफ्ट नोटिस जारी कर दिया है.

भारत के ख़िलाफ़ ये टैरिफ़ 27 अगस्त यानी बुधवार से लागू होंगे. आदेश में कहा कि बढ़ा हुआ शुल्क उन भारतीय उत्पादों पर लागू होगा जिन्हें 27 अगस्त 2025 को रात 12 बजकर एक मिनट या उसके बाद उपभोग के लिए (देश में) लाया गया है या गोदाम से निकाला गया है.

अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है और उसका भारत के सामानों पर 50 फ़ीसदी का टैरिफ़ लगाना मोदी सरकार और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, लेकिन पीएम मोदी कई मंचों से कह चुके हैं कि समय-समय पर लगने वाले इन झटकों से निपटने का स्थाई इंतज़ाम होना चाहिए और भारतीय अर्थव्यवस्था में ये ताक़त है.

आख़िर क्या है उनकी इस भरोसे की वजह और क्या वाक़ई भारतीय अर्थव्यवस्था में 'बाहरी झटकों' को सहने की क्षमता है. 'आत्मनिर्भर और स्वदेशी' के इस भरोसे की क्या वजहें हैं.

1. आउटलुक में सुधार image Getty Images

दरअसल, पिछले कुछ सालों में विदेशी निवेशकों का भारत पर भरोसा बढ़ा है और तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था तरक्की की राह पर रही है.

टैरिफ़ की बुरी ख़बरों के बीच पिछले दिनों रेटिंग एजेसियों एसएंडपी और फिच ने भी भारत की अर्थव्यवस्था पर भरोसा जताया है.

फिच के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ़ में बढ़ोतरी का भारत की जीडीपी पर असर मामूली रहेगा क्योंकि अमेरिका को भारत का निर्यात कुल जीडीपी का तकरीबन 2 फ़ीसदी है.

फिच की रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत रहेगी, जो पिछले वित्त वर्ष के मुक़ाबले कम नहीं है."

एक और रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने 18 साल बाद भारत की रेटिंग बढ़ाई है. एसएंडपी ने भारत की लंबे समय की सॉवरेन रेटिंग 'बीबीबी-' से बढ़ाकर 'बीबीबी' कर दी है. रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि भारत दुनिया की सबसे शानदार प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है. कोविड महामारी के बाद से मजबूती के साथ सुधार और निरंतर विकास दिखा रहा है.

2. भारत का बहुत बड़ा घरेलू बाज़ार image Getty Images

दुनिया की कुल खपत में भारत की हिस्सेदारी 2050 तक बढ़कर 16 प्रतिशत हो सकती है, जो कि 2023 में महज 9 प्रतिशत थी. यह जानकारी मैकिन्से ग्लोबल इंस्टिट्यूट की इसी साल आई एक रिपोर्ट में दी गई है.

बताया गया कि 2050 तक 17 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ केवल उत्तर अमेरिका ही भारत से आगे होगा.

यह अनुमान क्रय शक्ति समता के आधार पर लगाया गया है, जो देशों के बीच मूल्य अंतर को बराबर करता है.

दुनिया की कुल खपत में भारत की हिस्सेदारी बढ़ने की वजह यहां अधिक युवा आबादी होना है.

3. जीएसटी कलेक्शन में बढ़ोतरी image BBC

जीएसटी का मतलब है गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स. यह टैक्स लोग सामान और सेवाएं खरीदते समय देते हैं.

जीएसटी कलेक्शन से सरकार खजाना भर रहा है. मई महीने के जीएसटी कलेक्शन के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मई 2025 में जीएसटी कलेक्शन 16.4 फ़ीसदी बढ़कर 2,01,050 करोड़ रुपये हो गया है. मई 2024 में यह कलेक्शन 1,72,739 करोड़ रुपये था.

इससे पहले, अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन 2.37 लाख करोड़ रुपये रहा था जो कि अब तक का सबसे अधिक कलेक्शन था.

जीएसटी कलेक्शन सरकार का खजाना भरना दिखाता है. ये दिखाता है कि घरेलू फ्रंट पर भारत की इकोनॉमी बेहतर कर रही है.

4. काबू में महंगाई image Getty Images

एशियन डेवलपमेंट बैंक यानी एडीबी की इसी साल जुलाई में आई रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू मांग में मजबूती, अच्छे मानसून और ब्याज दरों में कमी की वजह से आर्थिक ग्रोथ 6.5 फ़ीसदी तक रहेगी और अगले साल भी इसमें तेज़ी रहने की उम्मीद जताई गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल महंगाई दर 3.8% और 2026 में 4% रहने का अनुमान है.

यह भारतीय रिजर्व बैंक के टारगेट रेंज में आती है. एडीबी के मुताबिक, खाद्य वस्तुओं की कीमतें कम होने की वजह से महंगाई काबू में है.

जुलाई के दौरान खुदरा महंगाई दर घटकर 1.55 फ़ीसदी पर आ चुकी है और यह आठ साल का निचला स्तर है. जून में खुदरा महंगाई दर 2.1 फ़ीसदी थी.

5. इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज़ोर image Getty Images

चीन जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए और विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए भारत को विश्व स्तर के बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा.

एक्सपर्ट अब भी ज़मीन, पानी और बिजली में सुधारों की ज़रूरत पर ज़ोर देते हैं.

हालांकि मोदी सरकार हर बार बजट में बुनियादी ढांचे पर अधिक धनराशि खर्च करने की बात करती है. एक फ़रवरी 2025 को बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए कई बड़े एलान किए थे.

इसमें इंफ्रा डेवलपमेंट के लिए राज्यों को बिना ब्याज के डेढ़ लाख करोड़ रुपये तक का कर्ज़ देना शामिल है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

image
Loving Newspoint? Download the app now