हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाए जाने वाले मुहर्रम के मौके पर देशभर में मुस्लिम समुदाय द्वारा ताजिया जुलूस निकाले जाते हैं। लेकिन बीकानेर में एक ऐसा मोहल्ला भी है, जहां सदियों पुरानी अनूठी परंपरा आज भी जिंदा है। यह परंपरा बीकानेर ही नहीं बल्कि पूरे भारत की संस्कृति में खास स्थान रखती है। हम बात कर रहे हैं बीकानेर के सोनगिरी कुआं क्षेत्र में स्थित दीदू सिपाहियों के मोहल्ले की। जहां हर साल मुहर्रम पर मिट्टी का ताजिया बनाया जाता है। यह ताजिया अपनी खासियत और पारंपरिक निर्माण प्रक्रिया के कारण पूरे देश में अनूठा है। इस ताजिया की खासियत यह है कि इसे उसी स्थान पर दफनाया जाता है, जहां इसे बनाया जाता है।
1635 से चल रही परंपरा
मोहल्ले के सरवर अली और रफीक बताते हैं कि यहां ताजिया 1635 में बनना शुरू हुआ था। तब से लेकर आज तक लगातार बनाया जा रहा है। यह ताजिया करीब 12 फीट का होता है। पूरे देश में यह एकमात्र ऐसा ताजिया है, जो मिट्टी से बना है। यह मिट्टी यहां बने टैंक से ली जाती है और इस टैंक को खोदकर मिट्टी निकाली जाती है और फिर ताजिया बनाया जाता है। यह ताजिया कच्ची मिट्टी और ईंटों से बनाया जाता है। इस ताजिया पर उस्ता कला का काम किया जाता है। रोजाना सुबह और शाम 30 से 35 कारीगर काम करते हैं।
दुनिया में कहीं भी मिट्टी से बना ताजिया
मोहल्ले के बुजुर्ग साबिर मोहम्मद कहते हैं, जब से मैंने होश संभाला है, तब से यही ताजिया बनते देखा है। हमारे बुजुर्ग इसे बनाते थे और अब हम इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका दावा है कि दुनिया में कहीं भी मिट्टी से बना ताजिया नहीं बनता, यह परंपरा बीकानेर के इसी मोहल्ले में देखने को मिलती है।
इस ताजिया की एक खास बात यह है कि इसे मोहल्ले के युवा और बुजुर्ग मिलकर पांच से छह दिन में पारंपरिक तरीके से तैयार करते हैं। ताजिया को उसी जगह पर पास में बने टैंक में विसर्जित कर ठंडा किया जाता है। खास बात यह है कि अगले साल फिर से उसी मिट्टी से नया ताजिया तैयार किया जाता है।
इस ताजिया में कई लोग अपनी मुरादें लेकर आते हैं और उनकी मुरादें पूरी भी होती हैं। यह ताजिया दस दिन में बनता है। मिट्टी को गूंथने, उसे आकार देने और सजाने में कई दिन लग जाते हैं। युवा इस काम में पूरे जोश और श्रद्धा के साथ हिस्सा लेते हैं। इसमें न तो किसी प्लास्टिक या लकड़ी का इस्तेमाल होता है और न ही इसे कर्बला ले जाया जाता है। यह पूरी तरह से मिट्टी से बना होता है और मिट्टी में मिल जाता है।
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