कोटा जिले के रावतभाटा की जवाहरनगर पंचायत से सटे मध्यप्रदेश के गांधीसागर अभयारण्य में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों को छोड़े जाने के साथ ही रावतभाटा भैंसरोडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में चीता कॉरिडोर परियोजना को जल्द ही गति मिलेगी। चीता कॉरिडोर बनने के बाद रावतभाटा के घास के मैदानों में चीतों का मूवमेंट हो सकेगा।
कॉरिडोर बनने से जंगल सफारी के साथ क्षेत्र में पर्यटन का विकास होगा और लोगों को पर्यटकों से आय भी होगी। गांधीसागर से लेकर रावतभाटा और मुकुंदरा तक चीतों को उछलकूद करते देखा जा सकेगा। रावतभाटा-गांधीसागर मार्ग और जवाहर नगर क्षेत्र के घने घास के मैदानों में चीता संरक्षण और उनके मूवमेंट के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। हालांकि अब यहां भी चीतों के संरक्षण के लिए आधारभूत संरचना विकसित करनी होगी। आल्सो
17 हजार वर्ग किलोमीटर का बनेगा कॉरिडोर
मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश के बीच 17 हजार वर्ग किलोमीटर का चीता कॉरिडोर बनाया जाना है। इसमें राजस्थान के कॉरिडोर का क्षेत्रफल करीब 6500 किलोमीटर है, जिसमें कोटा संभाग के चार जिले कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ के साथ चित्तौड़गढ़ जिले के सवाईमाधोपुर, करौली और रावतभाटा शामिल हैं। 17 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कूनो-गांधीसागर लैंडस्केप चिह्नित किया गया है।
इसमें मध्यप्रदेश का 10 हजार 500 वर्ग किलोमीटर और राजस्थान का 6500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल है। चित्तौड़गढ़ जिले के क्षेत्रीय वन प्रभाग के अधीन वन क्षेत्र और वन्यजीव वन प्रभाग के अधीन बस्सी, भैंसरोड़गढ़ अभयारण्य को राजस्थान सीमा में कूनो-गांधीसागर चीता लैंडस्केप में शामिल किया गया है। इन जिलों में मुकुंदरा, रामगढ़, रणथंभौर, घड़ियाल, शेरगढ़ समेत अन्य अभयारण्य भी आ रहे हैं।
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