राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम जी का मंदिर न सिर्फ भारत बल्कि विदेशों तक में आस्था का एक बड़ा केंद्र है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस दिव्य धाम में दर्शन के लिए आते हैं और 'श्याम बाबा' के जयकारों से वातावरण गूंज उठता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर से जुड़े कई ऐसे रोचक और रहस्यमयी तथ्य हैं, जो न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से अद्वितीय हैं, बल्कि इतिहास और चमत्कार की दृष्टि से भी चौंकाने वाले हैं?आइए जानते हैं खाटू श्याम मंदिर से जुड़े हैरान कर देने वाले तथ्य, जो आपकी श्रद्धा को और भी गहरा बना देंगे:
1. श्रीकृष्ण के वचन से जुड़ा है श्याम बाबा का जन्मखाटू श्याम को ‘कलियुग के कृष्ण’ कहा जाता है। उनका मूल नाम बार्बरीक था, जो महाभारत के महान योद्धा घटोत्कच (भीम पुत्र) के पुत्र थे। श्रीकृष्ण ने युद्ध में उनके अद्वितीय बलिदान के बाद वरदान दिया था कि कलियुग में वे मेरे ही नाम ‘श्याम’ से पूजे जाएंगे। यह नाम आज श्रद्धालुओं के बीच 'श्याम बाबा' के रूप में प्रसिद्ध है।
2. सिर्फ सिर की पूजा होती है, शरीर का कोई अस्तित्व नहींखाटू श्याम मंदिर में जो प्रतिमा विराजमान है, वह सिरमौर यानी केवल शिरोमणि (सिर) है। बार्बरीक ने भगवान श्रीकृष्ण को अपना सिर दान में दिया था ताकि वे महाभारत के युद्ध को देख सकें। उनके इसी चढ़ाए गए सिर की पूजा आज खाटू धाम में की जाती है।
3. 3500 साल पुरानी है सिर की उत्पत्ति, लेकिन मंदिर का निर्माण 1027 ईस्वी में हुआयह तथ्य कम ही लोग जानते हैं कि श्याम बाबा का सिर महाभारत काल में जमीन में समा गया था और 1027 ई. में राजा रूप सिंह चौहान के शासनकाल में खाटू क्षेत्र में खुदाई के दौरान यह सिर प्राप्त हुआ। इसके बाद मंदिर का निर्माण कराया गया।
4. पानी से नहीं, गुलाब जल से होता है बाबा का अभिषेकखाटू श्याम जी के श्रृंगार और अभिषेक की प्रक्रिया भी अनोखी है। बाबा के सिर का अभिषेक सामान्य जल से नहीं, बल्कि गुलाब जल से किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे उन्हें शीतलता और श्रद्धा दोनों प्राप्त होती है।
5. दरबार में नहीं बजती घंटियांजहां अधिकतर मंदिरों में पूजा के दौरान घंटियों की ध्वनि होती है, वहीं खाटू श्याम मंदिर में कोई घंटी या शंख नहीं बजाया जाता। भक्त यहां मौन और भक्ति में लीन होकर दर्शन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि श्याम बाबा सबके भावों को बिना शोर के समझ लेते हैं।
6. फाल्गुन मेला: एक आध्यात्मिक महाकुंभहर साल फाल्गुन महीने (फरवरी-मार्च) में फाल्गुन मेला का आयोजन होता है, जहां देशभर से लाखों श्रद्धालु नंगे पांव पदयात्रा करते हुए खाटू श्याम पहुंचते हैं। यह मेला न सिर्फ धार्मिक उत्सव होता है, बल्कि एक अद्भुत सामाजिक और आध्यात्मिक संगम भी बन जाता है।
7. मनोकामना पूरी करने वाला मंदिरश्रद्धालुओं का मानना है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से बाबा श्याम के दरबार में आकर मन्नत मांगता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। इसी विश्वास के कारण बाबा को "हारे का सहारा" भी कहा जाता है।
8. मंदिर का वास्तु चमत्कारी रूप से संतुलितमंदिर की वास्तुकला भी बेहद विशेष है। इसे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि श्याम बाबा के दर्शन करते समय सूर्य की किरणें सीधे उनके माथे पर पड़ती हैं। इसे एक शुभ संकेत माना जाता है और यह प्राचीन भारतीय वास्तुकला की विशेषता को दर्शाता है।
9. श्याम बाबा की प्रतिमा स्वयंभू मानी जाती हैमाना जाता है कि जो सिर खुदाई में प्राप्त हुआ था, वह किसी मूर्तिकार द्वारा बनाई गई नहीं, बल्कि स्वयंभू (स्वतः प्रकट) है। यही कारण है कि इसे अत्यधिक चमत्कारी और जागृत माना जाता है।
10. विदेशों तक फैली है खाटू श्याम जी की आस्थाखाटू श्याम जी के भक्त केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुबई, अमेरिका, कनाडा और यूके जैसे देशों में भी बड़ी संख्या में हैं। इन देशों में भी श्याम मंदिर और भजन संध्याओं का आयोजन किया जाता है।
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