राजस्थान के बीकानेर जिले में एक बार फिर पारंपरिक “मायरा” (मामा द्वारा भांजी-भांजे की शादी में दिया जाने वाला उपहार) ने सुर्खियाँ बटोरी हैं। शहर की एक प्रसिद्ध सोलर कंपनी के मालिक दो भाइयों ने अपने भांजों की शादी में 1 करोड़ 56 लाख रुपए का मायरा भरकर लोगों को हैरान कर दिया। इस शानदार मायरे की चर्चा अब पूरे बीकानेर संभाग में हो रही है।
जानकारी के अनुसार, बीकानेर निवासी सोलर कंपनी संचालक राजेंद्र शर्मा और सुरेश शर्मा (नाम परिवर्तित) ने अपनी बहन के दो पुत्रों की शादी में यह मायरा भरा। दोनों भाइयों ने परंपरा को निभाते हुए न केवल नकद राशि भेंट की, बल्कि सोने-चांदी के आभूषण, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं और अन्य उपहार भी प्रदान किए।
समारोह बीकानेर शहर के एक निजी विवाह स्थल पर आयोजित हुआ, जहाँ समाज के सैकड़ों लोगों ने शिरकत की। जब मामा भाइयों ने मंच पर मायरा रखा, तो पूरे पंडाल में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। उपस्थित लोगों ने इस पारंपरिक रस्म को आधुनिक भव्यता के साथ निभाने पर दोनों भाइयों की सराहना की।
परिवार के सदस्यों ने बताया कि दोनों भाइयों ने यह मायरा अपनी बहन और उसके परिवार के प्रति स्नेह और आशीर्वाद के प्रतीक के रूप में दिया। राजेंद्र शर्मा ने कहा — “यह सिर्फ पैसे की बात नहीं है, बल्कि बहन के प्रति हमारे प्रेम और सम्मान का प्रतीक है। हमारी बहन ने हमें हमेशा परिवार के रूप में जोड़ा रखा है, और यह मायरा हमारे भावनात्मक जुड़ाव की अभिव्यक्ति है।”
कार्यक्रम में शामिल मेहमानों ने बताया कि मायरे में दी गई राशि और उपहारों की कुल कीमत करीब 1 करोड़ 56 लाख रुपए आँकी गई है। इसमें 56 लाख रुपए नकद, जबकि शेष राशि के रूप में बहुमूल्य उपहार शामिल थे।
बीकानेर में पारंपरिक मायरा संस्कृति सदियों पुरानी मानी जाती है। ग्रामीण और शहरी दोनों समाजों में यह रस्म अत्यंत भावनात्मक मानी जाती है, लेकिन हाल के वर्षों में मायरे की भव्यता और खर्चे पर भी चर्चा होने लगी है। सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम के वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें लोग मंच पर मायरे के सामान और नकदी के ढेर को देखकर आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि मायरा परंपरा भावनाओं का प्रतीक है, परंतु इसे दिखावे की होड़ में नहीं बदलना चाहिए। वहीं, शर्मा परिवार ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य परंपरा को सम्मानपूर्वक निभाना था, न कि प्रदर्शन करना।
समारोह में परिवार, रिश्तेदारों और शहर के कई उद्योगपतियों ने भाग लिया। इस मायरे की चर्चा अब न केवल बीकानेर में बल्कि पूरे राजस्थान में हो रही है, जहाँ लोग इसे एक मिसाल के रूप में देख रहे हैं — एक ओर परंपरा का गौरव, तो दूसरी ओर परिवारिक संबंधों की सच्ची झलक।
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