केंद्र सरकार ने संसद को बताया था कि वर्ष 2022 से 2024 के बीच देश में डिजिटल गिरफ्तारी और साइबर अपराध के मामलों की संख्या में करीब 3 गुना वृद्धि हुई है और इस दौरान धोखाधड़ी से निकाली गई रकम में 21 गुना वृद्धि हुई है. गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया था कि राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर पिछले 3 वर्षों के डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले और संबंधित साइबर अपराध मामलों के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022 में 39 हजार 9 सौ 25 ऐसी घटनाएं सामने आईं, जिनमें 91. करोड़ 14 लाख रुपये धोखाधड़ी से निकाले गए।
धोखाधड़ी से निकाली गई रकम में 21 गुना वृद्धि हुई आंकड़ों के अनुसार, 2024 में ऐसे मामलों की संख्या करीब 1 लाख 23 हजार 6 सौ 72 हो गई, जिसमें धोखाधड़ी से निकाली गई रकम 21 गुना बढ़कर 19,35.51 करोड़ रुपये हो गई. कुमार ने बताया कि आंकड़ों के अनुसार 2025 के पहले दो महीनों में यानी 8 फरवरी तक डिजिटल गिरफ्तारी, साइबर अपराध के 17,718 मामले सामने आए, जिनमें 210.21 करोड़ रुपए निकाले गए।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डिजिटल गिरफ्तारी से बचे
राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव भी डिजिटल गिरफ्तारी जैसे साइबर अपराध का शिकार होने से बाल-बाल बचे। डिजिटल गिरफ्तारी और साइबर धोखाधड़ी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान उन्होंने इस गंभीर खतरे पर चिंता जताई और कहा कि उनके पास भी एक बार संदिग्ध कॉल आई थी। सतर्कता बरतते हुए उन्होंने तुरंत मोबाइल रजिस्ट्रार को सौंप दिया और संभावित धोखाधड़ी से बच गए।
सरकार से जवाब पेश करने को कहा
मुख्य न्यायाधीश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति मनीष शर्मा की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने कहा कि जनवरी में उसने डिजिटल गिरफ्तारी के बढ़ते मामलों पर स्वत: संज्ञान लिया था। लेकिन केंद्र और राज्य सरकार की ओर से अब तक जवाब पेश नहीं किया गया है।
प्रभावी सिस्टम विकसित किया जाए
हाईकोर्ट ने कहा कि आरबीआई और सरकार की शिकायत निवारण प्रणाली को और मजबूत किया जाए। आम लोगों को धोखाधड़ी वाले कॉल, वेबसाइट और पोर्टल से बचाने के लिए एक प्रभावी प्रणाली विकसित की जानी चाहिए, ताकि लोगों की मेहनत की कमाई सुरक्षित रह सके।
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