राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर यूं तो देशभर में हनुमान जी की विशेष कृपा के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन हर शनिवार यहां जो दृश्य देखने को मिलता है, वह आम लोगों की सोच और समझ से परे है। लोग यहां सिर्फ पूजा-पाठ या आशीर्वाद के लिए नहीं आते, बल्कि जीवन में बसे हुए असाध्य कष्ट, मानसिक रोग, और बुरी शक्तियों के प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। शनिवार के दिन मंदिर का वातावरण बदल जाता है – न केवल मंत्रों की गूंज होती है, बल्कि पूरे परिसर में गूंजती है हैवानों जैसी चीख-पुकार। जी हां, यह शब्द सुनने में डरावना लग सकता है, लेकिन यह इस मंदिर की सबसे अनोखी और रहस्यमयी पहचान बन चुकी है।
जब देवालय बन जाता है पीड़ितों का अस्पतालमेहंदीपुर बालाजी मंदिर कोई आम मंदिर नहीं है। यहां हर शनिवार को दूर-दूर से हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं, जिनके जीवन में ऊपरी बाधा, भूत-प्रेत, काला जादू या मनोवैज्ञानिक परेशानियां होती हैं। यहां आने वाले लोग मानते हैं कि वैज्ञानिक इलाज से भी जिन समस्याओं का हल नहीं निकल पाता, उनका समाधान बालाजी महाराज की कृपा से संभव है।मंदिर परिसर में शनिवार के दिन ऐसा माहौल बन जाता है जैसे कोई अदृश्य युद्ध चल रहा हो। पीड़ितों के शरीर पर अजीब हरकतें होने लगती हैं। कोई ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाता है, किसी की आंखें उलट जाती हैं, तो कोई मंदिर की ज़मीन पर लोटता हुआ नज़र आता है। हर तरफ मंत्रों का उच्चारण, नारियल तोड़ने की आवाज़ें और भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति की याचना करने वाले स्वजन दिखाई देते हैं।
मानसिक रोग या आध्यात्मिक उपचार?कई विशेषज्ञ इस मंदिर की गतिविधियों को मानसिक चिकित्सा से जोड़ते हैं। कुछ लोग इसे हिप्नोटिज्म या आत्म-संवेदना कहते हैं, जबकि बहुत से श्रद्धालु इसे शुद्ध आध्यात्मिक चमत्कार मानते हैं। यहां कोई डॉक्टर नहीं, कोई दवा नहीं, केवल श्रद्धा, आस्था और बालाजी के मंत्रों की शक्ति होती है। ‘आरती, ‘भूत उतारना’, ‘लड्डू चढ़ाना’, और ‘पानी से स्नान कराना’ जैसी परंपराओं से यहां लोगों को सालों पुरानी परेशानियों से छुटकारा मिला है – ऐसा श्रद्धालु दावा करते हैं।
बालाजी का ऐसा रूप आपने नहीं देखा होगाअक्सर जब हम हनुमान जी की बात करते हैं, तो उनके वीर, भक्त और संजीवनी लाने वाले रूप को याद करते हैं। लेकिन मेहंदीपुर बालाजी में बालाजी का जो रूप देखने को मिलता है, वह रक्षक और बाधा हरने वाले योद्धा का है। यहां वे किसी की पीठ पर चढ़े हुए भूत को भगाते हैं, किसी के जीवन में बसे अंधकार को उजाले में बदलते हैं।यह मंदिर तीन मुख्य देवताओं को समर्पित है – बालाजी (हनुमान जी), प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा। इन तीनों की मूर्तियां एक ही पंक्ति में स्थित हैं और यही त्रिदेव शक्तियों का वह केंद्र हैं, जहां हर पीड़ा का अंत संभव माना जाता है।
विदेशी भी हो चुके हैं आश्चर्यचकितमेहंदीपुर बालाजी मंदिर में होने वाली गतिविधियों पर कई बार विदेशी रिसर्च टीमों ने अध्ययन किया है। उनके कैमरों में कैद हुए दृश्य देखकर वे भी चकित रह गए। कई डॉक्यूमेंट्रीज़ में यह दिखाया गया है कि कैसे एक इंसान अचानक से खुद को किसी और ताकत के अधीन पाता है और फिर बालाजी के पुजारियों के मंत्रों के प्रभाव से वह उस ताकत से मुक्त हो जाता है।
चेतावनी भी है जरूरीहालांकि, यहां आने वालों को यह स्पष्ट रूप से निर्देश दिया जाता है कि वे किसी पीड़ित व्यक्ति का मज़ाक न उड़ाएं, न ही कैमरे से वीडियो बनाएं, क्योंकि यह न केवल मंदिर के नियमों के खिलाफ है बल्कि आध्यात्मिक रूप से अनुचित भी माना जाता है। यहां का हर पल एक शक्ति क्षेत्र की अनुभूति कराता है, जहां मज़ाक नहीं बल्कि श्रद्धा और संयम की आवश्यकता होती है।
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