बीकानेर । अक्षय तृतीया भारत में विवाह कराने का शुभ दिन माना जाता है और कई जगहों पर इस दिन बाल विवाह भी कराए जाते हैं। इसलिए यह दिन बाल विवाह को रोकने और लोगों की सोच बदलने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। देश के 416 जिलों के धर्मगुरु बुधवार को एकजुट होकर सार्वजनिक रुप से यह संदेश देंगे कि अब किसी बच्चे की शादी हमारे सामने नहीं होगी। उनका सामूहिक संकल्प समाज की सोच को चुनौती देगा और यह बताएगा कि बाल विवाह का कानून तोडऩा गंभीर अपराध है।
मंगलवार को होटल मंगलम में प्रेस कांफ्रेंस में राजस्थान महिला कल्याण मंडल के जिला समन्वयक अमित कुमार, मौलवी जावेद आलम, पंडित भवानी शंकर, सिराजूदीन कोहरी ने पत्रकारों को बताया कि मंडल पिछले दो साल से देशव्यापी संगठन जस्ट राइट्स फोर चिल्ड्रन एलायंस परियोजना 'एक्सेस टू जस्टिस फेज 3' के माध्यम से बालश्रम, बाल-दुव्र्यापार, बाल यौन शौषण (पोक्सो से सम्बन्धित मामले) एवं बाल विवाह की रोकथाम के लिए नियमित रुप से प्रयास कर रहा है।
संस्था द्वारा वर्तमान में आमजन को जागरुक करने के लिए सांझा प्रयास किए जा रहे हैं। ताकि बीकानेर जिले को बाल विवाह मुक्त बना सकें। उन्होंने यह भी कहा कि बाल विवाह के खिलाफ धर्मगुरु आगे आ रहे हैं। अमित कुमार ने कहा कि चूंकि धर्मगुरुओं का समाज में गहरा असर होता है। इसलिए इस अभियान ने अलग-अलग धर्मगुरुओं को बाल विवाह के खिलाफ एक साथ खड़ा किया है। समुदाय में धर्मगुरुओं की सीधी भागीदारी जरुरी है, सभी 416 जिलों में धर्मगुरु अपने-अपने धार्मिक स्थलों, सामुदायिक केंद्रों या बाजारों में आह्वान करें। इस अवसर पर पिंकी जनागल भी मौजूद थीं।
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